Tuesday, August 23, 2016

सात साल में जिगिशा को मिला 'इंसाफ': हत्याकांड के दो आरोपियों को 'फांसी'

आइटी पेशेवर जिगिषा घोष हत्याकांड में साकेत अदालत ने दो दोषियों रवि कपूर और अमित शुक्ला को फांसी और बलजीत मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। तीनों पर नौ लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। इसमें से छह लाख रुपये जिगिषा के माता-पिता को दिए जाएंगे। अदालत ने कहा कि पीड़ित माता-पिता
को जो जख्म मिले, उनका कोई इलाज नहीं है और छह लाख रुपये पर्याप्त नहीं लगते। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अपनी तरफ से उन्हें हर्जाना देने की व्यवस्था करे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने जब फैसला सुनाया तो कोर्ट रूम खचाखच भरा था। तीनों दोषी एक कोने में खड़े थे और जिगिषा के माता-पिता पीछे की सीट पर बैठे थे। वह सात साल से न्याय की आस लगाए हुए थे। इस फैसले से उनके चेहरे पर खुशी साफ दिखी। अदालत ने कहा कि पुलिस की जांच व साक्ष्यों से साफ है कि तीनों ने लूट के बाद जिगिषा की हत्या की। उनका कृत्य अत्यंत गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में जिस तरह से बढ़ोतरी हो रही है, उसमें यह जरूरी हो जाता है कि तीनों दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा सुनाई जाए वर्ना समाज में गलत संदेश जाएगा। तीनों ने जिगिषा को अगवा करने के बाद कई घंटे तक महज इस वजह से जिंदा रखा कि वह उसके एटीएम से पैसे निकाल सकें। 
दोषियों में सुधार की गुंजाइश नहीं: प्रोबेशनरी अफसर की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए अदालत ने माना कि दोषी रवि कपूर व अमित शुक्ला समाज के लिए खतरा हैं। उनका पिछला रिकॉर्ड व जेल की रिपोर्ट दर्शाती है कि उनमें सुधार की गुंजाइश नहीं है। बलजीत सिंह का पिछले दो साल का रिकार्ड साफ रहा है और उसके सुधरने के आसार हैं।
इन धाराओं में ठहराया गया था दोषी: अदालत ने अमित शुक्ला व बलजीत मलिक को आइपीसी की धारा 364 (अगवा करने) 302 (हत्या) 201 (साक्ष्य मिटाने व गुमराह करने) 394 (डकैती के लिए हमला) 468 (धोखाधड़ी के लिए सजिश) 471 (दस्तावेजों से छेड़छाड़) 482 (गलत निशानदेही) व 34 (समूह में अपराध) के तहत दोषी माना है। रवि कपूर को इन धाराओं के अतिरिक्त आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत भी दोषी माना गया है।
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साभारजागरण समाचार 
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