Sunday, September 25, 2016

राफेल डील: मोदी सरकार द्वारा कम कीमत में विमान खरीदने पर भी कांग्रेस ने उठाई ऊँगली

राफेल विमान सौदे में पैसे बचाने के सरकार के दावे पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है। उसका कहना है कि यूपीए के समय एक राफेल जेट की शुरुआती कीमत 715 करोड़ रुपये बताई गई थी। जबकि सरकार ने इसके मुकाबले करीब 1600 करोड़ रुपये प्रति विमान खरीदने का सौदा किया है जो काफी महंगा दिखता है। पार्टी ने 126 की
जगह 36 लड़ाकू विमान खरीदने के सरकार के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि विमानों की कमी से जूझ रही भारतीय वायुसेना की जरूरतें इससे पूरी नहीं होगी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कांग्रेस के मुताबिक, चीन और पाकिस्तान की सामरिक चुनौतियों को देखते हुए वायुसेना को राफेल के बाद भी सौ से ज्यादा लड़ाकू विमानों की जरूरत है। 
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी ने सरकार से राफेल सौदे का संपूर्ण ब्यौरा देश के सामने रखने की मांग करते हुए प्रेस कान्फ्रेंस में यह बात कही। उनका कहना था कि वे राफेल डील को लेकर सरकार पर फिलहाल कोई आरोप नहीं लगा रहे। लेकिन शुक्रवार को हुए राफेल डील को लेकर जो तथ्य सामने आए हैं उसमें सरकार को कई सवालों का स्पष्टीकरण देना होगा। 
एंटनी ने कहा कि यूपीए सरकार के समय वायुसेना के पूरे स्क्वाड्रन के लिए 126 राफेल विमान खरीदने की बात हुई थी। इसमें 18 फ्रांस से बनकर आने थे, जबकि बाकी 108 भारत में एचएएल की देखरेख में बनाए जाते। इसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी शामिल था। मगर एनडीए सरकार ने जो समझौता किया है उसमें ये दोनों बातें नहीं है।
पूर्व रक्षामंत्री ने कहा कि वायुसेना के 42 स्क्वाड्रन की क्षमता के मुकाबले आज हमारे पास 33 स्क्वाड्रन ही है। जो 2022 तक घटकर 25 रह जाएंगे। ऐसे में पाकिस्तान और चीन से मुकाबले के लिए ये पर्याप्त नहीं होंगे। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि 36 राफेल खरीदने के बाद बाकी जेट विमान की जरूरतें वह कहां से और कैसे पूरी करेगी। राफेल सौदे में पैसे बचाने के सरकार के दावे पर एंटनी के साथ कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि जब 715 करोड़ रुपये प्रति विमान की कीमत सामने आई तो भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा समेत कई लोगों ने इसके महंगा होने की शिकायत की थी। तब उन्होंने वित्त मंत्रलय को कीमत का सही आकलन करने को कहा था। तिवारी ने कहा कि जब यह कीमत महंगी थी तो आज 1600 करोड़ रुपये की प्रति जेट खरीद क्या महंगा नहीं है। यह पूछे जाने पर कि तब यूपीए ने केवल विमान खरीदने की बात कही थी और एनडीए ने तमाम प्रक्षेपास्त्रों से लैस राफेल का सौदा किया है। इस पर उनका कहना था कि तब भी इसकी कीमत एक हजार करोड़ रुपये प्रति जेट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। एंटनी ने कहा कि सरकार सौदे के दस्तावेज का खुलासा करे ताकि यह पता लग सके कि वाकई यह समझौता फ्रांस सरकार के साथ हुआ है या डेसाल्ट कंपनी से सौदे को भरोसे का आधार देने के लिए फ्रांस सरकार का सहारा भर लिया गया है।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभारजागरण समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.