Thursday, December 8, 2016

एक माह से 16 लाख बच्चे मिड-डे मील में कर रहे दूध का इंतजार, ताजा बजट में नहीं तो पाउडर देने की तैयारी

मिड-डे मील योजना के तहत स्कूलों में एक दिन की बजाय तीन दिन दूध से बने पौष्टिक आहार देने की योजना खटाई में पड़ी हुई है। बजट की कमी के चलते एक नवंबर से इसे शुरू नहीं किया जा सका। फिलहाल एक ही दिन दूध-दलिया बन रहा है। बच्चों को खीर और दूध का अभी इंतजार है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट
ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अब विभाग योजना बना रहा है कि ताजा दूध देने की जगह मिल्क पाउडर भेजा जाए, जिसे घोलकर दूध बन जाएगा। वहीं, जींद सिरसा मिल्क प्लांटों से स्वर्ण जयंती बाल दूध योजना के तहत 200 एमएल दूध भेजने की योजना भी सिरे नहीं चढ़ पाई। 16 लाख बच्चों के स्वास्थ्य को सुधारने का जो सपना सरकार ने देखा था, वह अमल में नहीं पा रहा। 
क्वालिटी से हो रहा समझौता: सरकार ने मिड डे मील के मानक तय कर दिए कि 100 ग्राम दूध दिया जाए, लेकिन बजट में वह आता ही नहीं। इस वजह से मजबूरन या तो कम दूध दिया जा रहा है या फिर उसमें पानी डालकर काम चला रहे हैं। 
सप्ताह में तीन दिन दूध के आइटम दिए जाने के आदेश जारी होने की जानकारी मिली है। आज की दरों के अनुसार इनको बनाना असंभव है। संघ की सरकार से दो मांगें हैं, जिनमें पहले तो प्रति बच्चे पर निर्धारित छह रुपए बढ़ाकर 15 रुपए किया जाए और दूसरी मिड डे मील 12वीं कक्षा तक के छात्रों को दिया जाए। -वजीरसिंह, प्रधान, हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ। 
मिल्क पाउडर दिलाने की योजना: सप्ताह में तीन दिन दूध से बने पौष्टिक आहार दिए जाने की बात सही है। हमने इसके लिए शासन स्तर पर मिल्क पाउडर तैयार कराने के लिए सहमति बनाई है। स्कूलों तक मिल्क पाउडर पहुंचने से स्कूल प्रबंधन को बाहर से दूध और चीनी नहीं खरीदनी पड़ेगी। मिल्क पाउडर को प्रति बच्चे के हिसाब से निर्धारित मात्रा में गरम पानी में डालना होगा और दूध तैयार हो जाएगा। इससे राशि बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। - पीके दास, एडिशनल सेक्रेटरी, स्कूल एजुकेशन। 
एमडीएम योजना के तहत अभी तक प्रदेश के कक्षा एक से पांच तक में प्रति बच्चे को 4 रुपए 18 पैसे कक्षा छह से आठ तक में प्रति बच्चे को 5 रुपए 78 पैसे के हिसाब से डाइट का खर्च मिलता है। अभी तक सप्ताह में एक दिन दूध से बने दलिया या खीर दिए जाने के निर्देश थे, लेकिन अब सप्ताह में तीन दिन देने के आदेश जारी हुए हैं, जबकि स्कूल प्रबंधन का कहना है कि प्रति बच्चे पर अभी तक दूध से बना आहार देने में 10 से 13 रुपए तक खर्च रहा था। अब तीन दिन देने में तो और भी दिक्कतें आएंगी, आखिर कब तक हम जेब से इनका खर्चा उठाएंगे। ऐसे में गुणवत्ता प्रभावित होगी। 
एक दिन दलिया बनाना ही भारी: राजकीय माध्यमिक स्कूल, जनता काॅलोनी रोहतक में कक्षा एक से पांच तक में 233 छह से आठ तक में 135 बच्चे हैं। स्कूल प्रबंधन के मुताबिक, प्रति बच्चे मिलने वाली राशि से हम लोग अभी तक तो किसी तरह सप्ताह में एक दिन दूध से बना पौष्टिक आहार दे रहे हैं। इसमें तय राशि से दोगुना खर्च आता है। अब सप्ताह में तीन दिन दूध के आइटम देना काफी मुश्किल होगा। 
अभी तक तीन दिन के निर्देश ही नहीं: जनता काॅलोनी स्थित पीपल वाली गली में संचालित राजकीय माध्यमिक स्कूल में कक्षा एक से पांच तक में 65 6 से 8 तक में 38 बच्चे हैं। शिक्षकों ने बताया कि अभी नए निर्देश नहीं मिले हैं। फिलहाल अभी हम सप्ताह में एक दिन शनिवार को बच्चों को दूध से बना आइटम दे रहे हैं। एक दिन में ही अतिरिक्त खर्च रहा है, जिसे सहन करना मुश्किल हो रहा है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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