Sunday, December 4, 2016

नोटबंदी के बाद अब मोदी सरकार की 'निगाह' पेंशन खातों पर

नोटबंदी के बाद काले धन को सफेद बनाने में जन धन खातों के इस्तेमाल के बाद अब राज्यों की पेंशन स्कीमों से जुड़े खातों को लेकर भी आशंका गहराने लगी है। देश में करोड़ों की संख्या में खुले इन खातों में से कई में नोटबंदी के बाद बड़ी मात्र में धनराशि जमा कराने की खबरें आई हैं। बीते आठ नवंबर को देश में नोटबंदी की
घोषणा के बाद काले धन को सफेद करने की प्रक्रिया में जन धन खातों के भारी पैमाने पर इस्तेमाल की खबरें आई हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।चूंकि जन धन खातों का हिसाब-किताब अलग से रखा जाता है, इसलिए इसका भंडाफोड़ भी फौरन हो गया कि 25.68 करोड़ जन धन खातों में से कई का इस्तेमाल काले धन को सफेद करने के लिए किया गया। जब तक सरकार की जानकारी में यह बात आई तब तक इन खातों में 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि आ चुकी थी। 30 नवंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक इन खातों में 74721.55 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं। जबकि 9 नवंबर 2016 तक इनमें केवल 43000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि ही जमा थी।1हालांकि इस तरह की गड़बड़ी की सूचना मिलने के बाद सरकार ने फौरन इन खातों से धनराशि की निकासी पर रोक लगा दी है। लेकिन बैंकिंग सूत्र बता रहे हैं कि जन धन की तरह ही राज्यों की पेंशन स्कीमों के तहत खुले खातों में भी इस दौरान बड़ी मात्र में धनराशि जमा होने की सूचना है। यह जानकारी मिलते ही बैंकों की वे सभी शाखाएं सतर्क हो गई हैं जिनमें इस तरह के खातों की संख्या अधिक है। दिल्ली में इस तरह के कई खातों की जानकारी बैंकिंग प्रबंधन को मिली है। जिन खातों में अचानक और लगातार अधिक मात्र में धन जमा कराने की सूचना मिली है, उसकी जानकारी बैंकिंग तंत्र से आयकर विभाग को भेजे जाने की तैयारी की जा रही है। ज्यादातर राज्य बुजुर्गो और महिलाओं के लिए पेंशन स्कीमों का संचालन करते हैं। इनके तहत प्रति माह 500 से 1500 रुपये की पेंशन का भुगतान किया जाता है। इन स्कीमों के तहत खुले खातों में सौदों की संख्या बेहद कम रहती है। सूत्र बताते हैं कि बीते माह के अंत में इन खातों में पेंशन आने और उनकी निकासी शुरू होने के बाद ही इसका अंदाज लग पाया कि इन खातों में भी जरूरत से अधिक पैसा जमा हुआ और बाद में निकाला भी गया। हालांकि वित्त मंत्रलय के अधिकारी अभी इस बात की पुष्टि नहीं कर रहे हैं। 
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साभारजागरण समाचार 
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