Saturday, January 21, 2017

क्या आप कोई सामाजिक बदलाव लाने में लगे हैं? उत्तर 'हा' हो या 'नहीं' ये आर्टिकल अवश्य ही पढ़िए

गरीब व्यक्ति की कहानी: अमरीक देवांगन छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के तुलाराम आर्य उच्चतर माध्यमिक शाला में 12वीं कक्षा की परीक्षा दे रही थीं। खुश थीं कि छुट्‌टियों में बहन की शादी होने वाली है। फिर पता चला
कि उनकी भी शादी साथ ही होगी, क्योंकि पिता आर्थिक संकट में हैं। जिंदगी में सबकुछ बहुत तेजी से हो रहा था। दो वर्षों में वे दो बच्चों की मां बनीं। शराबी पति ने छोड़ने का फैसला भी कर लिया, क्योंकि एक लोन आवेदन पर हस्ताक्षर करने से उन्होंने मना कर दिया था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। शराब और जुए के कारण पैसों की बुरी आदतों के आगे वे हार गई थीं। एक ही अच्छी बात हुई थी कि उनकी शादी 18वें जन्मदिन के ठीक एक दिन बाद हुई थी और दो ही बच्चे थे। यानी उम्मीद बाकी थी कि सरकारी नौकरी मिल सकती है और जिंदगी नए सिरे से शुरू की जा सकती है। तमाम परेशानियों के बाद भी बीएससी किया और फिर पीजीडीसीए और एमएससी। फिर पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा में शामिल हुईं। पहले ही प्रयास में पास हो गईं लेकिन, इंटरव्यू में नाकामी हाथ लगी। फिर सहायक प्रखंड शिक्षा अधिकारी के लिए चयन हो गया। फिलहाल वे छत्तीसगढ़ के शिक्षा विभाग में खारियागढ़ में नियुक्त हैं। हालांकि, पहला लक्ष्य अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने का था लेकिन, देखा कि आसपास ऐसे सैकड़ों लोग हैं जो अपने बच्चों को औपचारिक शिक्षा हासिल करने के लिए स्कूल नहीं भेजते। विशेष रूप से खानाबदोश लोग। उन्होंने एक सेंटर में पांच ऐसे बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और आज अपने खर्च पर पांच ऐसे सेंटर चलाती हैं और 45 छात्रों को पढ़ाती हैं। यह औपचारिक शिक्षा नहीं है, लेकिन, भविष्य में चुनौतियों को सामना करने और सफल होने में यह मददगार हो सकती है। 
अमीर व्यक्ति की कहानी: बच्चे मुंबई के उस अनाथालय में टीचर से क्राफ्ट सीखने के लिए एकत्र हुए थे। क्लास के लिए तैयार हो रहे थे तो टीचर कमर के इर्द-गिर्द हूला हूप रिेंग लिए क्लास में दाखिल हुईं। घूमती रिंग के साथ ही बच्चों का अभिवादन किया। परिचय का एक छोटा-सा दौर चला। कुछ बच्चे खिलखिला रहे थे, हंस रहे थे। कुछ जोश में थे। कुछ घूमती रिंग से टकराकर थोड़े पीछे हटे। फिर टीचर के पीछे हटने पर आगे गए। कुल-मिलाकर हंगामे का माहौल था। इसलिए नहीं कि रिंग कमाल दिखा रही थी या क्राफ्ट क्लास थी, बल्कि इसलिए कि टीचर भी बच्चों की हमउम्र थी। तान्या कामत सिर्फ 10 साल की हैं। वीकेंड में एनजीओ एसएवाय (सोशल एक्शन एंड यू) के साथ मिलकर अनाथालयों में टीचर बनकर जाती हैं। तान्या 6 से 16 साल उम्र के बच्चों को दो घंटे पढ़ाती हैं। उन्हें आर्ट और क्राफ्ट सिखाती हैं। एक बार मां मिनोती कामत और पिता को आपस में बात करते सुना था कि कैसे टीचर्स की कमी के कारण गरीब बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है, जबकि पढ़ाने की बहुत सारी सामग्री उपलब्ध है। पेरेंट्स की चिंता सुनकर तान्या ने पढ़ाने की इच्छा जताई। तान्या की मां एक एनजीओ के साथ काम करती हैं और तान्या लीलावती पोद्‌दार स्कूल में पांचवीं क्लास में पढ़ती है। तान्या को इसके लिए विशेष प्रयास कर समय नहीं निकालना पड़ा, क्योंकि वह वीकेंड हॉलीडे में पढ़ाने जाती हैं। हिंदी में कहानियां पढ़कर सुनाती है और सरल ज्वेलरी और कार्ड बनाना भी। यह आर्ट उसने अपने स्कूल में सीखा है। अंग्रेजी के कुछ जरूरी शब्द भी सिखाती है। जनवरी 2015 से नियमित अनाथालयों में जा रही है। तान्या के कमिटमेंट को देखकर आसपास के कई लोग भी समाज के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित हुए हैं। इस तरह वह अपने तरीके से सामाजिक बदलाव ला रही है।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.