Sunday, January 22, 2017

करियर ज्ञान: रेडियो स्टेशन, टेलीविजन चैनल के लिए जरूरी ब्रॉडकास्ट इंजीनियर

ब्रॉडकास्टिंग मास कम्युनिकेशन का ऐसा टूल है, जो ऑडियो और वीडियो कंटेंट को रेडियो तरंगों के माध्यम से वितरित करने में मदद करता है। टेलीविजन और रेडियो दो ऐसी प्रमुख मीडिया इंडस्ट्री हैं, जिसमें ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम का उपयोग होता है। कोई भी प्रोग्राम जो हम टीवी पर देखते या रेडियो पर सुनते हैं, वह यूजर तक पहुंचने से पहले एक्विजिशन, प्रोडक्शन, ट्रांसमिशन और रिसेप्शन जैसे चरणों से होकर गुजरता है।
प्रोडक्शन की प्रक्रिया में कई प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग होता है। देश में एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के विस्तार से ब्रॉडकास्टिंग इंजीनियरिंग में कॅरिअर के नए विकल्प बने हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। यह इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का ही एक हिस्सा माना जाता है। इसमें रेडियो और टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग से संबंधित उपकरणों, सिग्नल स्ट्रेंथ, कलर और आवाज इत्यादि के तकनीकी पहलू शामिल होते हैं। इंजीनियरिंग के कई स्ट्रीम जैसे इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन, कंप्यूटर इंजीनियरिंग, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और ऑडियो इंजीनियरिंग के कुछ अंश ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग में शामिल हैं। ब्रॉडकास्टिंग इंजीनियर लाइव टेलीकास्ट या किसी भी अन्य प्रकार के टेलीकास्ट की तकनीकी व्यवस्था के लिए जिम्मेदार होता है। ये प्रोफेशनल रेडियो या टेलीविजन प्रोग्राम में उपयोग होने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को इंस्टॉल, टेस्ट, ऑपरेट और रिपेयर करने का काम करते हैं। इसके अलावा ये मोशन पिक्चर्स के लिए साउंडट्रैक बनाने और लाइव इवेंट में साउंड ऑपरेट करने का काम भी करते हैं। 
जॉब प्रॉस्पेक्ट: ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग के प्रोफेशनल रेडियो स्टेशन या टेलीविजन चैनल में बतौर ब्रॉडकास्टिंग इंजीनियर, ब्रॉडकास्ट डिजाइन इंजीनियर, ब्रॉडकास्ट सिस्टम इंजीनियर, ब्रॉडकास्ट अाईटी सिस्टम इंजीनियर जॉब कर सकते हैं। एंटरटेनमेंट कंपनियों में भी उनके लिए नौकरी के अवसर हैं। 
एलिजिबिलिटी: छात्र फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स से 12वीं करने के बाद इस क्षेत्र से संबंधित कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। हालांकि, ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग के कोर्स बैचलर स्तर पर मौजूद नहीं हैं। इस स्ट्रीम में स्पेशलाइजेशन हासिल करने के लिए छात्र इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन या कंप्यूटर इंजीनियरिंग से बैचलर डिग्री करने के बाद इसके पीजी कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। अधिकांश कॉलेज में उपरोक्त स्ट्रीम के बैचलर डिग्री कोर्स में प्रवेश जेईई मेन के स्काेर के अाधार पर मिलता है। इसके अलावा छात्र इसके डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स में भी प्रवेश ले सकते हैं। 
कमाई: शुरुआत में प्रोफेशनल को 15 हजार से 20 हजार रुपए तक का मासिक सैलरी पैकेज मिल सकता है। एक या दो वर्ष के अनुभव के बाद सैलरी पैकेज 25 हजार रु. प्रति माह और 5 वर्ष के अनुभव के बाद सालाना पैकेज 6 से 8 लाख रु. तक हो सकता है। 
प्रमुख संस्थान: 
  • सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया एंड कम्युनिकेशन, पुणे www.simc.edu/
  • ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग सोसायटी, दिल्ली www.besindia.com/
  • इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, मेरठ www.indianfilmandtelevisioninstitute.com/
  • जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी, दिल्ली www.jmi.ac.in/

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साभार: भास्कर समाचार 
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