Monday, February 20, 2017

बच्चों को बोर्ड परीक्षा की तैयारी करानी थी इसलिए ससुराल में होने वाली रस्में निभाए बिना ही वापस लौट आईं, ससुराल पक्ष भी दे रहा साथ

छत्तीसगढ़ में कल से 9वीं और 11वीं की वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं तो पिछले सप्ताह से ही शुरू हैं। रायपुर से 40 किलोमीटर दूर दुर्ग के पुलगांव की 25 वर्षीय पायल शर्मा अपने पास-पड़ोस केे गांव के बच्चों की तैयारी कराने में जुटी हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के
सौजन्य से पढ़ रहे हैं। 5 फरवरी को उनकी शादी हो गई लेकिन वह परीक्षा खत्म होने तक बच्चों की तैयारी करवाना चाहती थीं इसलिए शादी के ठीक बाद ससुराल में होने वाली रस्मों को टालकर गांव चली आईं। ससुराल वाले उसकेेे साथ हैं। स्वसुुर हरीशचंद्र का कहना है कि आज के समय में ऐसी सोच रखना बड़ी बात है। मेरी बहु अच्छा काम कर रही है। हम परीक्षा के बाद बची रस्मों को पूरा कर लेंगे। पायल जब 12वीं में थीं, तभी से गांव के बच्चों महिलाओं को घर पर पढ़ाने लगी थीं। उसी समय उन्हें पता चला कि गांव के सरकारी स्कूल में मैथ्स और ना ही कॉमर्स का शिक्षक है। 12 वीं पास करते ही उन्होंने स्कूल में पढ़ाने के लिए तत्कालीन प्रिंसिपल ज्योत्सना चंद्रवंशी से आग्रह किया। जनवरी 2010 में उन्हें पढ़ाने को मिल गया। उन्होंने बताया कि पायल पिछले सात साल से बिना पैसे के स्कूल में पढ़ा रही हैं। पायल को पहले 9वीं और 10वीं कक्षा में गणित पढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई। फिर 11वीं 12वीं कक्षा में कॉमर्स पढ़ाने के लिए कहा। 
पायल के पिता विनोद कुछ दिन पहले की बात साझा करते हैं कि परिवार के सदस्य शादी की तैयारियों में लगे हुए थे, और ये बच्चों की तैयारी कराने के लिए परेशान रहती थी, कई बार रस्में पूरी होते ही पढ़ाने चली जाती थी। शादी से कुछ दिन पहले लड़कियों को घर से बाहर निकलने का रिवाज है। इसलिए बड़ी मुश्किल से स्कूल जाने के लिए तैयार हुई तो बच्चों को घर पर बुलाकर पढ़ाने लगी। 
स्कूल की वर्तमान प्रिंसिपल पुष्पा रानी ठाकुर बताती हैं कि एक बार उसे स्कूल की तरफ से आगे सेवा देने को कहा गया तो छात्र-छात्राएं उसे वापस लाने पर अड़ गए। बाद में प्रबंधन को बच्चों की बात माननी पड़ी। अगर ससुरालवाले घरवाले सहारा दें तो पायल जैसी कई बच्चियां समाज के लिए कुछ कर सकती हैं। 
शादी के बाद घर पर तैयारी करातीं पायल। 
पायल ने स्कूल की टाइमिंग देखकर ग्रेजुएशन के लिए कॉलेज चुना। सुबह 7 से 11 कॉलेज में पढ़तीं। 12 बजे से शाम 5 बजे तक स्कूल में पढ़ातीं। एक बार जब स्कूल का समय बदल गया तो उन्होंने कॉलेज जाना छोड़ प्राइवेट परीक्षा देकर अपनी पढ़ाई पूरी की लेकिन पढ़ाना नहीं छोड़ा। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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