Sunday, March 19, 2017

तनाव देने वाले पहुंचाते हैं मस्तिष्क को नुकसान

कई शोधों से यह बात पता चली है कि लगातार स्ट्रेस का मस्तिष्क पर नकारात्मक असर होता है। इससे तर्कशक्ति और याददाश्त कमजोर हो सकती है। जब तनाव नियंत्रण से बाहर हो जाता है तो ब्रेन की
क्रियाशीलता घट जाती है। दिमाग पर तनाव का गहरा असर होता है। और यह काम करने की क्षमता को घटा देता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हाल ही में जर्मनी की फ्रेडरिक शिलर यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में पता चला कि जब आप अजीब और डिफिकल्ट लोगों के संपर्क में लगातार रहते हैं तो दिमाग पर इसी तरह का निगेटिव असर होता है। असल में नकारात्मक विचार आपके जीवन पर ज्यादा जल्दी असर करते हैं। सकारात्मक विचारों को व्यक्ति देर से स्वीकार करता है। जब नकारात्मक व्यक्ति या विचारों से सामना होता है तो अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना और शांत-संतुलित बने रहना मुश्किल हो जाता है। दिमाग उलझ जाता है। इसलिए ऐसे लोगों को मैनेज करना जरूरी हो जाता है। असल में इन्हें संभालने के लिए इन्हें पहचानना और इनकी बातों से निकलना जरूरी होता है। इसके लिए कुछ तरीके अपनाए जा सकते हैं। जैसे - निगेटिव लोग हमेशा लगातार शिकायत करते हैं। उनकी बातें नकारात्मक होती हैं और वे हमेशा तर्क-कुतर्क के जरिए इन्हें आगे बढ़ाते रहते हैं। इनसे एक तय दूरी बनाकर रखना जरूरी होता है। 
दूसरा तरीका है उनकी नकारात्मकता को दूसरी दिशा में मोड़ देना। जैसे ही ऐसे लोग कोई शिकायत सामने लाएं तो उनसे ही पूछा जा सकता है कि इसका समाधान भी आपको बताना चाहिए। असल में निगेटिव लोग सिर्फ शिकायत करते हैं। समाधान अगर उनसे ही पूछा जाए तो वे खामोश हो जाते हैं या बात का रुख खुद ही किसी दूसरी ओर मोड़ देते हैं। 
निगेटिव लोगों की एक और बात अजीब होती है कि वे हमेशा तर्क के खिलाफ बात करते हैं। लेकिन उनकी इन बातों से सामने वाला इमोशनल हो जाता है। इस इमोशनल ट्रैप से बचना जरूरी होता है। असल में वे ऐसा सोच समझकर आपको फंसाने के लिए ही करते हैं। उनकी कोशिश होती है कि किसी भी तरह लोगों को उकसाया जाए और फिर उनसे बहस की जाए। लेकिन सफल लोग जानते हैं कि यह बहस किसी और दिन की जा सकती है। वे ऐसे उकसावे के मौकों को टाल जाते हैं और उनसे बचकर निकल जाते हैं। यह भी इस स्थिति से निकलने का बेहतर तरीका है। 
साथ में काम करने वाले नकारात्मक लोग काम को टालने की प्रवृत्ति वाले होते हैं। वे साथी के लिए भी ऐसी ही परिस्थिति बनाना चाहतेे हैं। लेकिन किसी भी तरह के तनाव से बचने और बाहर निकलने के लिए अपनी क्षमताओं को पहचानना सबसे ज्यादा जरूरी है। अपने पास उतना ही काम लेना चाहिए, जितना कि आप आसानी से पूरा कर सके। नकारात्मकता से बाहर निकलने के लिए कार्य के प्रति, जीवन के प्रति आशावादी रुख अपनाना जरूरी है। इससे जीवन के कठिन से कठिन क्षणों में भी विजय मिल सकती है।

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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