Saturday, May 20, 2017

134ए : मेधावियों को दाखिला देने में स्कूल बना रहे बहाने मांगे मेडिकल-आय प्रमाण पत्र, 2141 को जाना पड़ा कोर्ट

134ए के तहत मेधावी बने करीब 14 हजार विद्यार्थियों में से निजी स्कूलों की अपनी शर्तों पर अब तक 50 फीसदी से कम को ही दाखिले मिल पाए हैं। कई नामी बड़े स्कूल दाखिले देने में आनाकानी कर तरह-तरह के
बहाने बना रहे हैं। कई स्कूल प्रबंधन मेधावियों से मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट मांग रहे हैं तो कोई आय प्रमाण पत्र। कुछ स्कूल तो अंदरखाते आधी फीस देने की शर्त पर दाखिला कर रहे हैं। फतेहाबाद में छात्र मनोज से उसके स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र मांगा गया, जिसे देने पर उसे एडमिशन नहीं दिया गया। इसी प्रकार रोहतक में अंकित से कई दस्तावेज मांगे। प्रदेश में अब तक 2100 से ज्यादा बच्चों के मामले में स्कूलों के खिलाफ कोर्ट में केस दायर हो चुके हैं। यह केस 2 जमा 5 जन आंदोलन संगठन के जरिए कोर्ट में पहुंचे हैं। सबसे ज्यादा 410 केस अम्बाला में दाखिल किए गए हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 134ए के तहत स्कूलों में दाखिले के लिए गरीब परिवारों के 46 हजार बच्चों ने फॉर्म भरे थे। इनमें 42 हजार ने परीक्षा दी। पात्रता के लिए जरूरी 55 फीसदी अंक करीब 14 हजार बच्चे ही हासिल कर पाए। 18 अप्रैल को रिजल्ट जारी होने के बाद 20 अप्रैल से दाखिला प्रक्रिया शुरू हुई। इसके एक माह बाद 50 फीसदी से कम मेधावियों को ही दाखिला मिल पाया। 
शिक्षा नियमावली को सरल करके शर्तें पूरी करने के लिए एक साल का समय और बढ़ाने, एग्जिस्टिंग स्कूलों की सूची जारी करने आरटीई के 3 जून 2011 के नोटिफिकेशन को लागू करने, नियम 134ए को खत्म करने या सरकारी स्कूलों के समान 2300 रुपए महीना गरीब बच्चों के खाते में डालने, निजी स्कूलों की बसों पर प्रति सीट प्रति वर्ष लगाए 180 रुपए के टैक्स को समाप्त करने, स्कूलों पर बिजली पानी के बिलों को व्यवसायिक दर की बजाए घरेलू दर पर लागू करने स्कूलों पर प्रॉपर्टी टैक्स आदि अनचाहे टैक्स ना थोपें जाने मान्यता प्रदान करने की शर्तों में विशेषकर भूमि और भवन की शर्तों को सरल कर सभी प्राइवेट स्कूलों को मान्यता देने और अस्थाई परमिशन प्राप्त स्कूलों को स्थाई मान्यता देने सहित विभिन्न मुद्दों मांगों को लेकर प्रमुखता के साथ उठाया गया। 
दाखिले होने के बारे में सभी डीईओ से मांगेंगे रिपोर्ट: दाखिलादेने से संबंधित कोई शिकायत मेरे पास नहीं पहुंची है। डीईओ के पास आई होगी। उन्होंने अपने स्तर पर निपटा ली होगी। फिर भी इस बारे में सभी डीईओ से रिपोर्ट मांगी जाएगी कि कितने बच्चों के दाखिले बाकी हैं। आनाकानी करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -पीकेदास, एसीएस, शिक्षा विभाग हरियाणा। 
हाईकोर्ट में जाएंगे: निजी स्कूलों में दाखिले मिलने पर मेधावी आते हैं। पहले स्कूल को हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देकर नोटिस दिया जाता है, कई स्कूल दाखिला देते हैं, जो नहीं देते उनके खिलाफ जिला अदालत में याचिका दी रही है। अब तक प्रदेश भर में करीब 2100 केस फाइल हो चुके हैं, जिनमें से कुछ पर सुनवाई हो चुकी है। इस पूे मामले की सीबीआई जांच के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा। -सत्यवीरहुड्डा, 2जमा 5 जन आंदोलन के सदस्य। 
दस्तावेज तो देने पड़ेंगे: रिजर्वेशनके लिए जो दस्तावेज चाहिए, वह तो बच्चों को देना ही पड़ेगा। मेडिकल सर्टिफिकेट भी वही स्कूल मांग रहे होंगे, जहां पहले से ही सभी बच्चों के लिए अनिवार्य होगा। बाकी स्कूलों में बच्चों को दाखिला दिया जा रहा है। सरकार प्रति बच्चा 400-500 रुपए दे रही है, जबकि उसे स्कूल में बच्चे की तय फीस देनी चाहिए। इसके लिए हमने हाईकोर्ट में रिट दायर की है। -विजेंद्रमान, प्रदेशाध्यक्ष, हरियाणा संयुक्त विद्यालय संघ।
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साभार: भास्कर समाचार 
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