Saturday, May 27, 2017

स्किल पासबुक बोली - हालात सच में बेहद चिंताजनक; आधे बच्चे भी नहीं हैं 20 फीसदी लेवल पर

स्किल पासबुक के आधार पर सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों की शैक्षणिक योग्यता की जांच करने पहुंचे शिक्षा विभाग के निदेशक सहित अाला अधिकारियों ने विभिन्न स्कूलों में दिनभर विद्यार्थियों के बीच रहकर पड़ताल
की तो सामने आया कि 50 फीसदी बच्चों का आईक्यू लेवल 20 फीसदी तक रहा। बड़ी बात तो यह है कि 10वीं कक्षा के कई विद्यार्थियों तो यह भी पता नहीं है डिक्शनरी कैसी होती है और इसका इस्तेमाल कैसे करते है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सातवीं कक्षा के बच्चे तो फरवरी माह की अंग्रेजी में स्पेलिंग महीने के नाम भी नहीं बता पाएं। अधिकारियों ने विद्यार्थियों पर अपनी जांच रिपोर्ट बनाकर शिक्षा मुख्यालय को भेज दी है। शनिवार को भी स्कूलों में दौरे होंगे।  
सरकारी स्कूलों में बच्चों को वर्ष के महीने के नाम तक पता नहीं है डिक्शनरी के इस्तेमाल से दूर है। आला अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान सामने आया कि शिक्षक तो आईक्यू लेवल बढ़ाने के लिए अपनी तरफ से भरसक प्रयास कर रहे है लेकिन विद्यार्थी अभिभावक शिक्षा को लेकर कोई खास गंभीर नजर नहीं रहे है। टोहाना गर्ल्स स्कूल में 10वीं की कई छात्राओं को डिक्शनरी का भी पता नहीं है। ग्रामर के रूल भी नहीं आते। गांव चिंदड़ के सरकारी स्कूल में सातवीं कक्षा के बच्चों को फरवरी माह की स्पेलिंग तक नहीं आती। डिप्टी डीईईओ संगीता बिश्नोई का कहना है कि शिक्षा विभाग बच्चों की शैक्षणिक योग्यता को लेकर काफी गंभीर है। लेकिन निरीक्षण के दाैरान सामने आया कि अध्यापकों के प्रयास के बावजूद भी करवाएं गए पाठ को समझने की बजाएं केवल रटने का ही प्रयास करते है। ऐसे में बच्चों को किसी भी पाठ को रटने की बजाये उसे समझने की कोशिश करनी चाहिए। अभिभावकों को भी अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर सचेत रहना चाहिए। 
60 प्रतिशतबच्चे नहीं सुना पाए कटवां पहाड़े: फतेहाबादके बीईओ कुलदीप सिहाग ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय दरियापुर का निरीक्षण किया। जहां उन्होंने करीब 150 बच्चों से मुलाकात कर सवाल जवाब किए। उन्होंने काफी बच्चों से कटवा पहाड़े सुने, लेकिन 60 प्रतिशत बच्चे वह नहीं सुना पाए। वहीं छठी कक्षा के बच्चे को हरियाणा के राज्यपाल का नाम तक नहीं पता था। बीईओ का कहना है कि हालांकि पैचअप अभियान के तहत तीन महीनों में 12 से 15 प्रतिशत सुधार जरूर हुआ है। बच्चों को कुछ जानकारी होने लगी है, लेकिन अभी सुधार की बेहद जरूरत है। 
फरवरी की स्पेलिंग नहीं बता पाए: डिप्टी डीईओ संगीता बिश्नोई ने गांव चिंदड़ के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में कक्षा छठी से लेकर 10वीं तक के विद्यार्थियों से सवाल-जवाब किए। करीब आधे बच्चे तो पिछली बार की तरह ही मिले। जबकि कुछ बच्चों के आईक्यू लेवल में इंप्रूवमेंट देखी गई। डिप्टी डीईईओ ने सातवीं कक्षा के बच्चों से अंग्रेजी में फरवरी माह की स्पेलिंग नहीं बता पाएं। इसके अलावा कई बच्चे वर्ष के महीनों के नाम बोलकर भी नहीं सुना पाएं। छठीं कक्षा में हरियाणा की भौगोलिक स्थिति प्रदेश के जिलों के बारे में पूछने पर 3 छात्राएं शुरूआत में ही अटक गई। जबकि अध्यापक ने प्रदेश की भौगोलिक स्थिति से जुड़े 150 प्रश्न करवाएं थे। लेकिन बच्चे कुछेक का ही सही जवाब दे पाएं। 
कार्यकारी डीईओ दयानंद सिहाग ने टोहाना के गर्ल्स स्कूल में 10वीं कक्षा की छात्राओं से डिक्शनरी के बारे में पूछा तो कई छात्राओं से जवाब मिला उन्होंने पता नहीं कि डिक्शनरी कैसी होती है और इसका कैसे करना चाहिए। इसी तरह कार्यकारी डीईओ ने अंग्रेजी की ग्रामर के रूल पूछे तो छात्राएं जवाब भी नहीं दे पाई। कक्षा सातवीं से नौवीं तक की छात्राओं के पास स्किल पासबुक भी नहीं थी। हैरानी वाली बात तो यह है कि स्कूल प्रशासन ने पासबुक खत्म होने के बाद इसे शिक्षा विभाग से मंगवाने के लिए भी प्रयास नहीं किया। हालांकि स्किल पासबुक को लेकर शिकषा निदेशालय काफी सख्त है। 
1 करोड़में कितने जीरो, नहीं दे पाए जवाब: शिक्षा विभाग के निदेशक हरचरण सिंह छोक्कर ने फतेहाबाद के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में पहुंचकर स्किल पासबुक के आधार पर विद्यार्थियों से सवाल-जवाब किए। छोक्कर ने विद्यार्थियों से पूछा कि एक लाख एक करोड़ में कितने शून्य होते है। वृक्ष का व्यास त्रिज्या के सवाल पूछे तो बच्चे सही जवाब भी नहीं दे पाएं।
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साभार: भास्कर समाचार 
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