Sunday, May 28, 2017

ट्रम्प के दामाद ने रूस से गुप्त संपर्क की कोशिश की थी - अमेरिकी मीडिया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दामाद जैरेड कुशनर के खिलाफ चुनाव अभियान के दौरान रूस से संपर्कों की जांच चल रही है। इसी बीच शनिवार को मीडिया ने उनके खिलाफ एक और मोर्चा खोल दिया। इसके
मुताबिक ट्रम्प के राष्ट्रपति पद संभालने के एक महीने बाद ही कुशनर ने रूसी राजदूत से बैक चैनल संपर्क की व्यवस्था करने को कहा था। वॉशिंगटन पोस्ट और न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्टों के मुताबिक कुशनर चाहते थे कि अमेरिकी प्रशासन या गुप्तचर ट्रम्प और रूस के बीच होने वाली बातचीत सुन सकें। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अमेरिका के आधिकारिक सूत्रों के हवाले से यह रिपोर्टें प्रकाशित हुई हैं। इनके अनुसार, कुशनर ने रूसी राजदूत सर्गेई किस्लयाक से अमेरिका में बैक चैनल बातचीत के लिए रूसी राजनयिक सुविधाएं उपलब्ध करवाने को कहा था। यह बातचीत न्यूयॉर्क के ट्रम्प टॉवर में दिसंबर के शुरू में हुई थी। दोनों रिपोर्टों के मुताबिक बातचीत में ट्रम्प के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल फ्लिन भी मौजूद थे। वे ट्रम्प की ट्रांजिशन टीम का रूसी क्रेमलिन से सीधा संपर्क चाहते थे। फरवरी में विवादों के बाद फ्लिन को इस्तीफा देना पड़ा। रूसी राजदूत से मुलाकात के कुछ ही दिन बाद कुशनर रूसी बैंकर सर्गेई एन गोर्कोव से भी मिले थे। गोर्कोव रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के बेहद करीबी माने जाते हैं। और ओबामा प्रशासन ने अपने अंतिम दिनों में उनकी कंपनी व्नेशकोनोम्बैंक पर प्रतिबंध लगा दिए थे। यह बैंक रूसी प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव के नियंत्रण में है। सोची ओलिंपिक के दौरान इस बैंक से वित्तीय लेन देन हुआ था। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक कुशनर राजदूत किस्लयाक के बीच बातचीत 1 और 2 दिसंबर को हुई। इसका खुलासा अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने किया जिन्होंने रूसी दूतावास और रूसी राजधानी के बीच बातचीत पकड़ी। 
हमलावर ने महिलाओं को निशाना बनाते हुए की टिप्पणियां: वॉशिंगटन और मॉस्को के बीच सीधी बातचीत के लिए हॉटलाइन पहले से है। यह फोन नहीं है लेकि इसे रैड फोन कहते हैं। यह शीत युद्ध में दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध टालने के लिए बना था। लेकिन इसका इस्तेमाल केवल पद पर बैठा राष्ट्रपति ही कर सकता है, निर्वाचित राष्ट्रपति नहीं। इसलिए कुशनर दो माह के लिए अलग व्यवस्था चाहते थे और उसे आधिकारिक रिकॉर्ड पर भी नहीं लाना चाहते थे। 
चकरा गए थे रूसी राजदूत: वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, प्रस्ताव सुन कर रूसी राजदूत चकरा गए थे। क्योंकि इसका मतलब था कि अमेरिकी लोगों को रूसी दूतावास में उपलब्ध सुविधाएं मुहैया करवाना। ऐसा कहीं होता नहीं है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक यह खुफिया संपर्क कभी स्थापित नहीं हो पाया। 
क्यों चाहते थे गुप्त चैनल: रिपोर्टों के मुताबिक, चुनाव जीतने और पद संभालने के बीच राष्ट्रपति ट्रम्प रूस से सीरिया और अन्य महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दों पर बात करना चाहते थे। लेकिन चाहते थे कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियां उस बातचीत को सुन सकें।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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