Friday, August 18, 2017

सख्ती: जाट आरक्षण आंदोलन से जुड़े 2 हजार से ज्यादा मामलों की जांच एसआईटी करे - हाईकोर्ट

जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान तोड़फोड़-आगजनी से जुड़े दो हजार से ज्यादा मामलों की जांच एसआईटी (स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम) करेगी। एमिकस क्यूरी के सुझााव पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार को
यह फैसला सुनाया है। अदालत ने हिसार रेंज के आईजी अमिताभ ढिल्लों को एसआईटी का इंचार्ज नियुक्त किया है। एसआईटी जांच रिपोर्ट सीधे हाईकोर्ट को सौंपेगी। जस्टिस एसएस सारों और जस्टिस अवनीश झिंगन की खंडपीठ ने कहा कि ढिल्लों अपनी टीम चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे। साथ ही कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को तय कर दी और तब तक एसआईटी को स्टेटस रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। फरवरी 2016 में भड़के जाट आरक्षण आंदोलन और उस दौरान मुरथल में हाईवे पर कथित दरिंदगी मामले में सीनियर एडवोकेट अनुपम गुप्ता अदालत के सहयोगी (एमिकस क्यूरी) की भूमिका निभा रहे हैं। 
उधर, मुरथल में कथित सामूहिक दुष्कर्म मामले की जांच पर एमिकस क्यूरी गुप्ता ने असंतोष जताते हुए कहा कि वे रिकाॅर्ड पर कोर्ट में कह रहे हैं कि ममता सिंह की अगुवाई वाली टीम मामले की जांच सही दिशा में नहीं कर रही है। एक साल का समय बीत गया है, लेकिन जांच में कुछ भी सामने नहीं आया। बेहतर होता कि सीबीआई को मामले की जांच दी जाती। जांच के नाम पर कोई प्रोग्रेस नहीं है। उल्टा मामले के जरूरी एवीडेंस समय के साथ कमजोर हो रहे हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि यह गैंग रेप का मामला है। ऐसे में मामले की जांच पर आंखें नहीं बंद की जा सकती। मामले की अगली सुनवाई तक यदि जांच में कुछ सामने नहीं आया तो सीबीआई को जांच देने पर विचार किया जाएगा। 
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि मूनक कनाल के मामले में सीबीआई को जांच करते तीन माह हो गए हैं। ऐसे में स्टेटस रिपोर्ट दी जाए। वहीं, वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के भाई की प्रिटिंग प्रेस में तोड़फोड़ मामले में सीबीआई जांच में आगे नहीं बढ़ी है। इस पर सीबीआई के वकील ने कहा कि अगली सुनवाई पर स्टेटस दे देंगे। 
खंडपीठ ने कहा कि हरियाणा पुलिस द्वारा अनट्रेस रिपोर्ट देने के बाद मजिस्ट्रेट भी आगे जांच कराने में असहाय हैं। गुप्ता ने कहा कि रोहतक में दर्ज 1212 मामलों में 921 में अनट्रेस रिपोर्ट दी गई है। 184 मामलों में आरोपियों का कोई क्लू नहीं है। इस तरह 1105 मामलों को डस्टबिन का रास्ता दिखा दिया गया है। 
एसआईटी की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि उन्हें एक समाचार के माध्यम से जानकारी मिली है कि बीएमडब्ल्यू कार से आंदोलनकारियों ने महिलाओं को घसीट कर बाहर निकाला था और दुष्कर्म हुआ था। कार को जला दिया गया था। ऐसे में बीमा कंपनियों से संपर्क कर कार के मालिक की जानकारी जुटाई जा रही है। 15 बीमा कंपनियों में से सात का जवाब मिला है जबकि 8 कंपनियों के जवाब का इंतजार है। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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