Sunday, August 20, 2017

नई समस्या: बच्चों को जितनी स्काॅलरशिप मिली, बैंकोंं ने सर्विस चार्ज में काट लिया

गरीब छात्रों की स्कॉलरशिप के जीरो बैलेंस बैंक खाते भी न्यूनतम बैलेंस रखने पर जुर्माने की जद में गए हैं। कई छात्रों को तो उतनी स्कॉलरशिप भी नहीं मिलती, जितनी रकम खाते में रखना अनिवार्य है। नए नियम के
मुताबिक शहरी खातों में न्यूनतम पांच और ग्रामीण खातों में 3 हजार रु. रखना अनिवार्य है। खाते पर 50 रु. माह मेंटेनेंस चार्ज के हिसाब से साल भर में 600 रु. तो चुकाने ही होंगे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। न्यूनतम बैलेंस नहीं होने पर तीन महीने मेंे 50 रु. के हिसाब से 200 रु. जुर्माना लगेगा। यानी बैंक साल में 800 रु. तो वसूल ही लेगा। अगर स्कॉलरशिप ही 600 या 800 रु. है, तो उसे क्या फायदा होगा? दिल्ली, गुजरात, राजस्थान और हरियाणा से इस तरह के मामले सामने आए हैं। हालांकि आरबीआई ने कहा है कि सरकारी योजनाओं के खातों को न्यूनतम बैलेंस, अधिकतम जमा जैसी शर्तों से छूट दी गई है। हाल ही में दिल्ली में दसवीं की एक छात्रा विजय नगर स्थित एसबीआई पहुंची, तो उसे खाते में मिनिमम बैलेंस होने पर 50 रु. कटने की बात कही गई। छात्रा ने टीचर को बताया। जब टीचर बैंक पहुंचीं, तो बैंक मैनेजर रजनीश कुमार ने कहा, 'गाइडलाइन आई है कि न्यूनतम बैलेंस मेंटेन करने वाले अकाउंट्स पर सर्विस चार्ज के तहत पैनल्टी लगाई जाए। दिल्ली की बात करें, तो यहां लाखों छात्रों को यूनिफॉर्म, किताबें, मैरिट स्कॉलरशिप दी जाती है। बहुत कम छात्र ऐसे हैं, जिन्हें 5 हजार रुपए मिलते हैं, उसमें भी पैसा एक साथ नहीं आता। वह अलग-अलग मद में सीधा सरकारी विभाग से खाते में ट्रांसफर होता है। छात्र भी जरूरत के मुताबिक खाते से रकम निकालकर इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि जब स्कॉलरशिप भी एक मुश्त नहीं मिलती, तो फिर मेंटेनेंस चार्ज और न्यूनतम बैलेंस मेंटेन करने के नाम पर जुर्माना क्यों। इस हिसाब से तो उसे 800 रुपए साल के यूं ही चुकाने पड़ जाएंगे। इस मामले में रविंद्र गुप्ता, एसबीआई, संसद मार्ग (नई दिल्ली) का कहना है कि बैंकों की ओर से चार्ज लिया जा रहा है, वह आरबीआई की स्वीकृति के तहत वसूला जा रहा है। जन-धन खातों पर किसी तरह की कटौती नहीं है, जबकि उसमें सालाना अधिकतम जमा 50 हजार रुपए हैं। छात्रों के अकाउंट जमा खाते के तहत खोले गए हैं, इसलिए इन पर लेवी यानी सर्विस चार्ज लगाए गए हैं। यह व्यवस्था एक अप्रैल 2017 से लागू की गई है। यह चार्ज 30 से लेकर 100 रुपए तक है।' 
गुजरात: अहमदाबाद में न्यूनतम बैलेंस होने पर एसबीआई की एक शाखा ने 300 बच्चों के खातों से प्रति खाता 100-150 रुपए वसूल लिए। बैंक ने छात्रों को न्यूनतम बैलेंस रखने को कहा है। स्कॉलरशिप एकमुश्त नहीं आती, इसलिए छात्रों को इस नियम का पालन करने में परेशानी हो रही है। ये स्थिति तब है जब शहर में 15 हजार स्कॉलरशिप अकाउंट खुलने बाकी हैं। 
हरियाणा - दे रहे हैं आरबीआई का हवालाफरीदाबाद में डीएवी कॉलेज में स्कॉलरशिप इंचार्ज नरेंद्र कुमार बताते हैं कि कॉलेज में करीब 150 छात्रों के खातों में स्कॉलरशिप आती है। ज्यादातर को 2,500 से 3,000 रु. मिलते हैं। वे अपने अकाउंट में रकम नहीं रख सकते। इस मामले में एसबीआई, फरीदाबाद शाखा के हेड कैशियर केएल बंसल कहते हैं कि 'आरबीआई की आेर से स्कॉलरशिप अकाउंट को लेकर नई गाइडलाइन जारी की गई हैं। हर हालत में नियम का पालन करना होगा।' 
राजस्थान - 18% जीएसटी भी वसूल रहे हैं: जयपुर में कई बैंकों ने स्कॉलरशिप अकाउंट में जीरो बैलेंस वाले खातों को चलाने से मना कर दिया है। न्यूनतम बैलेंस होने पर छात्रों के खाते से 59 रु. से 118 रु. तक वसूले जा रहे हैं। इसमें 18% जीएसटी भी शामिल है। यानी 50 रु. पर 9 रु. और 100 रु. पर 18 रु.। राजस्थान में बड़ी संख्या में छात्र ऐसे हैं, जिनकी स्कॉलरशिप तिमाही बैलेंस मेंटेन करने की तुलना में आधी या एक चौथाई है। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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