Wednesday, August 16, 2017

ऑटोमेशन से नई आईटी स्किल की मांग, मिलेंगी सालाना तीन लाख नौकरियां

आईटी क्षेत्र में अब लो स्किल एंप्लॉई के लिए नौकरियां कम हुई हैं और नए स्किल वाले प्रोफेशनल की मांग बढ़ी है। हाल ही में आई कई रिपोर्ट में ऑटोमेशन के विस्तार से आईटी सेक्टर में नौकरियां कम होने की आशंका
जताई गई है। इससे पुरानी स्किल या लो स्किल कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में हैं यह बात काफी हद तक सही भी है। लेकिन ऑटोमेशन के आने के साथ इसमें नए तरह के स्किल्स वाले प्रोफेशनल्स की मांग भी बढ़ी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसके विस्तार से नए क्षेत्रों जैसे कि बिग डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स में प्रोफेशनल की जरूरत साल दर साल बढ़ने की संभावना है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑटोमेशन की वजह से नए आईटी डोमेंस में हर साल करीब 3 लाख प्रोफेशनल की जरूरत होगी। जरूरी नहीं कि सिर्फ नए छात्र ही इन क्षेत्रों में कॅरिअर बना सकते हैं। बल्कि मौजूदा आईटी प्रोफेशनल्स भी अपनी स्किल्स अपग्रेड कर इसमें अच्छी जॉब कर सकते हैं। 
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का बाजार सालाना 54 फीसदी की दर से ब रहा है और 2020 के अंत तक यह करीब 5 अरब डॉलर का हो जाएगा। डेलॉइट के मुताबिक देश में इंटरनेट ऑफ थिंग्स का बाजार 2020 तक 9 अरब डॉलर का हो जाएगा। वहीं एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार देश में क्लाउड सर्विस का बाजार 2020 तक करीब 4 अरब डॉलर का हो जाएगा, जो वर्तमान में करीब 1.3 अरब डॉलर का है। बिग डेटा एक अन्य क्षेत्र है, जिसका बाजार तेजी से बढ़ रहा है। बिग डेटा का बाजार सालाना 18 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। 2016 में यह 28 अरब डॉलर का था, जिसके 2021 के अंत तक करीब 67 अरब डॉलर होने की संभावना है। 
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस: इसमें काम करने वाले प्रोफेशनल का मुख्य काम किसी भी प्रक्रिया को मशीन या ऑटोमेटिक तरीके से बेहतर प्रक्रिया को कम खर्चीला बनाना होता है। ये प्रोफेशनल मैथ्स, प्रोबैबिलिटी, स्टैटिस्टिक्स, एल्गोरिद्म, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, इंजीनियरिंग, रोबोटिक्स और फिजिक्स में माहिर में होते हैं। हेल्थकेअर से लेकर एजुकेशन तक हर सेक्टर में अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग किया जा रहा है। 
क्लाउड सर्विस: क्लाउड कंप्यूटिंग भी इंटरनेट के विस्तार के बाद प्रचलित हुई तकनीक है, जिसमें किसी भी डेटा को एक जगह स्टोर करने के बजाय रिमोट मशीन में सेव किया जाता है। इस डेटा को इंटरनेट के माध्यम से कहीं से भी एक्सेस किया जा सकता है। इसमें क्लाउड कंप्यूटर इंजीनियर, क्लाउड आर्किटेक्ट और क्लाउड कंसल्टेंट और क्लाउड सिक्योरिटी एक्सपर्ट जैसे प्रोफेशनल की जरूरत होती है। 
इंटरनेट ऑफ थिंग्स: इंटरनेट ऑफ थिंग्स को सरल शब्दों में कहा जाए, तो ये वो डिवाइस हैं, जो इंटरनेट से जुड़े हैं और अापस में कम्युनिकेट करते हुए डेटा का आदान-प्रदान करते हैं। इसमें भी नौकरियों के अवसर अलग-अलग तरह से मौजूद हैं। जैसे कि डेटा एनालिटिक्स, नेटवर्क्स एंड आर्किटेक्चर, सिक्योरिटी और मोबाइल एंड यूआई डेवलपमेंट। विभिन्न क्षेत्रों मंे जरूरत के अनुरूप इन प्रोफेशनल की मांग होती है। 
बिग डेटा: इसमें डेटा साइंटिस्ट, बिग डेटा इंजीनियर और डेटा आर्किटेक्ट का काम प्रमुख होता है। ये प्रोफेशनल कंप्यूटर साइंटिस्ट, मैथमेटिशियन के सम्मिलित रूप होते हैं। इनका काम बड़े डेटा भंडार को समझना, इसका आकलन और इसमें उभरते हुए ट्रेंड के बारे में पता लगाना होता है। इसके अलावा डेटा आर्किटेक्ट डेटा मैनेजमेंट सिस्टम का ब्लूप्रिंट तैयार करने का काम करते हैं। 
कंप्यूटर साइंस की डिग्री, मैथ्स स्टैटिस्टिक्स दिलाएंगे प्रवेश: कंप्यूटर साइंस में बैचलर डिग्री, प्रोग्रामिंग की जानकारी नए ट्रेंड के लिए बेसिक जरूरतें हैं। छात्रों को डिग्री कोर्स करने के साथ ही नई स्किल से खुद को अपग्रेड करना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में अल्जेब्रा, स्टैटिस्टिक्स, रोबोटिक्स की पढ़ाई कर कॅरिअर बना सकते हैं। कई बड़े संस्थानों में अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के कोर्स श़रू किए जा रहे हैं। डेटा साइंटिस्ट बनने के लिए एसक्यूएल, आर, पायथॉन, हैडहूप, जावा, नेटवर्क/ग्राफ, जावास्क्रिप्ट, एसएएस, रूबी जैसी टेक्निकल स्किल की जरूरत होती है। कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग का कोर्स करने के बाद क्लाउड कंप्यूटिंग के शॉर्टटर्म कोर्स किए जा सकते हैं। 
विभिन्न पदों के लिए 9 से 20 लाख रु. सालाना तक का पैकेज: एक रिपोर्ट के अनुसार इन क्षेत्रों में अौसत सैलरी 9 लाख रुपए से 20 लाख रुपए सालाना तक हो सकती है। डेटा साइंटिस्ट को 8.47 लाख रुपए, मशीन लर्निंग इंजीनियर को 12.82 लाख रुपए,आर्टफिशियल इंटेलीजेंस आर्किटेक्ट को 13.4 लाख रुपए सालाना और बिग डेटा आर्किटेक्ट को 20.67 लाख रुपए सालाना का पैकेज मिलने की संभावना होती है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com

साभार: भास्कर समाचार 
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