Friday, August 18, 2017

दस वर्षीया दुष्कर्म पीड़िता ने दिया प्रीमेच्योर बच्ची को जन्म, "नीच मामा" ने किया था सात माह तक दुष्कर्म

चंडीगढ़ में दुष्कर्म की शिकार 10 साल की बच्ची गुरुवार को मां बन गई। सुबह सिजेरियन से उसने बेटी को जन्म दिया। मामा ने लगातार 7 माह तक बच्ची के साथ दुष्कर्म किया था, जिससे वह प्रेेग्नेंट हाे गई थी।
 डिलीवरी के बाद लड़की को बेटी की सूरत तक नहीं दिखाई गई। जन्म के बाद से ही मां-बेटी को अलग रखा गया है। पेट दर्द होने पर 8 अगस्त को उसे गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था। 11 डॉक्टर उसकी सेहत पर नजर रखे हुए थे। बच्ची के पिता ने पहले ही प्रशासन को लिखकर दिया था कि वह नवजात को नहीं अपनाएंगे। उसका चेहरा देखेंगे। इसलिए मां-बेटी को अस्पताल में अलग रखा गया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद नवजात चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की कस्टडी में रहेगी। दो माह बाद उसे गोद देने की प्रक्रिया शुरू होगी। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के चेयरपर्सन रॉबर्ट नील ने बताया कि नवजात को गोद दिए जाने की पूरी जानकारी पीड़िता के परिवार को भी दी जाएगी। 
ट्रामा से बचाने को बच्ची से कहा- पेट में पथरी है, ऑपरेशन करके निकालेंगे, पर वह सच जानती है: बच्ची को साइकोलॉजिकल ट्रामा से बचाने के लिए अस्पताल प्रशासन ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की। उसे बताया गया कि उसके पेट में पथरी है। इसलिए ऑपरेशन करना पड़ेगा। लेकिन, बच्ची को सबकुछ पता था कि उसके साथ क्या हुआ है और क्या होने वाला है। कुछ दिन पहले बच्ची ने कहा था कि उसके पेट में बेबी है। डिलीवरी के बाद वह फिर से स्कूल जाएगी। पीड़िता छठी कक्षा में पढ़ती है। पहचान छिपाने के लिए स्कूल भी बदला जाएगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात की इजाजत नहीं दी थी। 28वें हफ्ते में प्रेग्नेंसी का पता तब चला था, जब पेट दर्द की जांच के लिए परिजन उसे अस्पताल लेकर गए थे। 
प्रीमैच्योर हुई डिलीवरी, अस्पताल के अलग-अलग कमरों में भर्ती मां-बेटी की हालत स्थिर: डॉक्टरों के अनुसार मां-बेटी दोनों ही बच्चियों की हालत स्थिर है। मां बनी बच्ची नॉर्मल होने तक सेक्टर-32 स्थित अस्पताल में अलग कमरे में रहेगी। नवजात प्रीमैच्योर है। उसका वजन 2.2 किलो है। उसे कुछ दिन नियो नेटल आईसीयू में रखा जाएगा। डॉक्टरों के अनुसार प्रेग्नेंट बच्ची की उम्र कम होने के कारण पैल्विक बोन्स कमजोर थीं। वह नॉर्मल डिलीवरी का प्रेशर सहन नहीं कर सकती थी। लेबर पेन सहने लायक स्टेमिना भी नहीं था। इसलिए नॉर्मल के बजाय 35 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में प्रीमैच्योर सिजेरियन डिलीवरी करवाई। 
आरोपी मामा का डीएनए सैंपल बच्ची से मिलाएंगे: बच्ची के जन्म के बाद पुलिस ने दुष्कर्म के आरोपी कुल बहादुर को जेल से प्रोडक्शन वारंट पर लिया है। उसका डीएनए सैंपल लिया गया। दुष्कर्म की शिकार बच्ची और नवजात का भी डीएनए सैंपल लिया। तीनों के सैंपल शुक्रवार को सीएफएसएल भेजे जाएंगे। अगर बच्ची के साथ कुल बहादुर का डीएनए सैंपल मैच हुआ तो यह उसके खिलाफ पुख्ता सबूत होगा और उसे सजा मिलना तय हो जाएगा। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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