Sunday, August 20, 2017

Innovation: मोबाइल एप ही अब बदलाव के चैंपियन हैं

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
कार रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपनी ज़िंदगी में कभी कभी यह अनुभव जरूर होता है। हम अच्छी जगह पाने के लिए पार्किंग के चक्कर लगाते रहते हैं पर कोई जगह ही नहीं मिलती। हम सिर्फ जगह ढूंढ़ते रहते हैं
बल्कि पार्किंग टिकट देने वाले को भी देखते रहते हैं पर वह भी नहीं मिलता। काफी मेहनत के बाद जब आपको पार्किंग की जगह मिलती है तो जाने कहां से पार्किंग वाला अपने पैसे वसूलने पौराणिक कहानियों के किरदार की तरह प्रकट हो जाता है। और जब आप उससे पूछते हैं कि अब तक वह कहां था तो वह झेंपते हुए मुस्कराएगा और कहेगा, 'यहीं तो था साहब।' यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। बिना कोई सेवा दिए पैसा लेने के लिए प्रकट होने वाले 'कलयुग' के इन किरदारों की यह परेशानी खत्म करने के लिए मुंबई महानगर पालिका ने इस साल के अंत तक एक एप लाने की योजना बनाई है, जो आपके मोबाइल पर आपको बताएगा कि कार कहां पार्क करना है और जितने घंटे आपको कार रखना है उस हिसाब से चार्ज भी बता देगा, जिसका आप ऑनलाइन भुगतान कर सकेंगे। पैसे पार्किंग लॉट के खाते में पहुंचने के बाद आप दी गई जगह पर कार पार्क कर सकेंगे। सबसे बड़ा फायदा तो यह होगा कि खाली जगह खोजने के लिए आपको पार्किंग का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 
महानगर पालिका अगले हफ्ते इसके लिए टेंडर निकालने वाली है, जिसमें सॉफ्टवेयर कंपनी से पार्किंग की जरूरतों के हिसाब से मोबाइल एप विकसित करने को कहा जाएगा। एप डाउनलोड करने के बाद यूज़र जरूरी वक्त के हिसाब से काफी पहले ही पार्किंग बुक कर सकेगा। शुरू में यह सुविधा 12 क्षेत्रों में दी जाएगी और फिर इसे दूसरे इलाकों में फैलाया जाएगा ठीक उसी तरह जैसा कि विकसित देशों में होता है। संयोग से नीति आयोग ने भी गुरुवार को 'बदलाव के चैम्पियन' नामक युवा उद्यमियों का सम्मेलन आयोजित किया था, जिसमें प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, 'एक मोबाइल एप व्यवस्था की हर खामी को भर सकता है।' सार्वजनिक सेवाएं देने वाली कुछ कंपनियों ने तो एप को बहुत गंभीरता से लिया है और वे धीरे-धीरे कर्मचारियों की जगह एप को दे रही हैं। कल्पना करें कि आप किसी काउंटर से कोई सेवा दे रहे हैं और हर दिन भीड़ बढ़ती ही जा रही है, जिसके साथ आपका कलेक्शन भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे बढ़ते बिज़नेस के प्रति किसी आंत्रप्रेन्योर की तत्काल क्या प्रतिक्रिया होगी? परम्परागत रूप से तो और काउंटर खोल दिए जाएंगे, बढ़ती भीड़ से बिल लेने के लिए कर्मचारी बढ़ाए जाएंगे। लेकिन, आधुनिक विचार प्रक्रिया यह है कि बढ़ते समय के साथ भीड़ के थोड़ा परेशान होने के बाद अचानक लोगों से कहा जाए कि वे अपने मोबाइल पर 'एप' डाउनलोड करके या 'क्यूआर' कोड के जरिये घर बैठे बिल का भुगतान करके वक्त बचा सकते हैं। 
हाल ही में मैं जब बार्सिलोना गया था - जहां पिछले हफ्ते आतंकी हमले में 14 लोग मारे गए- तो वहां मैंने लोकल ट्रेन में यात्रा करने वाले किसी व्यक्ति को रेलवे काउंटर से टिकट खरीदते हुए शायद ही देखा हो। अपवादस्वरूप मेरे जैसे पर्यटक ही वहां से टिकट खरीदते हैं। काउंटर पर बैठे व्यक्ति के लिए पर्यटकों का स्वागत करने और उन्हें आसपास के दर्शनीय स्थलों के बारे में विस्तार से बताने के लिए वक्त ही वक्त था। यदि आप भारत में उनके हमपेशा लोगों को देखें तो बेचारों के पास पैसे लेने और टिकट यात्रियों को देने के अलावा सिर उठाने की फुर्सत नहीं होती। अब हम यह बहाना नहीं बना सकते कि 'हम विशाल आबादी वाले देश हैं।' सच तो यह है कि विशाल आबादी की समस्या के कारण हम अन्य देशों की तुलना में अधिक तेजी से टेक्नोलॉजी अपनाने पर मजबूर हैं। 
फंडा यह है कि टेक्नोलॉजी के इस युग में मोबाइल एप निश्चित ही बदलाव के वाहक साबित होंगे। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com

साभार: भास्कर समाचार 
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