Saturday, October 14, 2017

हाई कोर्ट का आदेश: हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में 6.30 से 9.30 तक ही चलेंगे पटाखे

साभार: जागरण समाचार 
दिल्ली एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद अब पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में पटाखे जलाने पर रेगुलेटेड बैन लगा दिया है। अब दिवाली की शाम साढ़े 6 बजे
से साढ़े 9 बजे तक ही पटाखे जलाए जा सकेंगे। इसके बाद और पहले पटाखे न जलाए जाएं, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी डीसी, एसपी और पुलिस कमिश्नर की होगी। पीसीआर और एनजीओ को इसकी निगरानी के लिए कहा गया है। 26 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई तक आदेश लागू रहेगा।
हाई कोर्ट के यह आदेश सुप्रीम कोर्ट से एक कदम आगे बढ़कर हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने केवल दिल्ली-एनसीआर में पटाखे बेचने पर पाबंदी लगाई थी। हाई कोर्ट ने पटाखों से होने वाले प्रदूषण पर संज्ञान लेते हुए बृहस्पतिवार को पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ को पटाखे बेचने के लिए जारी स्थायी और अस्थायी लाइसेंस का ब्योरा मांगा था। इस पर दोनों राज्यों व केंद्रशासित प्रदेश ने शुक्रवार को कोर्ट में अपना पक्ष रखा। चंडीगढ़ ने बताया कि उन्होंने एक स्थायी लाइसेंस जारी किया है, जबकि अस्थायी लाइसेंस अभी जारी नहीं किए गए हैं। वहीं हरियाणा और पंजाब ने विस्तृत जवाब देने के लिए समय की मांग की। हाई कोर्ट ने कहा कि यदि स्थायी लाइसेंस दिए जा चुके हैं तो अस्थायी लाइसेंस पर रोक लगाना इस वर्ष सहीं नहीं होगा। ऐसे में हाई कोर्ट ने पटाखों का समय तय करते हुए लाइसेंस देने की प्रक्रिया भी निर्धारित कर दी।  
पिछले वर्ष के मुकाबले 20 फीसद लाइसेंस जारी होंगे: आदेश के अनुसार दुकानदारों को सोमवार को दोपहर दो बजे तक अस्थायी लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा। गत वर्ष के मुकाबले मात्र 20 फीसद लाइसेंस जारी होंगे। यह प्रक्रिया पूरी तरह से डीसी के अधीन होगी। पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिग भी करवाई जाए। पुराने अस्थायी लाइसेंस रद कर नया आवंटन करना होगा।
हाई कोर्ट ने नहीं किया लाइसेंस खारिज: कोर्ट मित्र एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने कहा कि बीते साल विमुद्रीकरण और इस वर्ष जीएसटी के बाद व्यापारियों को बड़े झटके लग चुके हैं। अभी भी व्यापारियों ने पटाखे खरीद लिए हैं और यदि बैन हुआ तो उनको बड़ा नुकसान हो जाएगा। कोर्ट ने कहा कि अभी लाइसेंस को खारिज करना सही नहीं है क्योंकि संज्ञान दिवाली के ठीक पहले लिया गया है, लेकिन इसे रेगुलेट करना जरूरी है। साथ ही आगे के लिए अभी से रूपरेखा तैयार की जाएगी।