Thursday, December 7, 2017

भारत-श्रीलंका का तीसरा टेस्ट ड्रा, लगातार 9 टेस्ट सीरीज जीतने का रिकॉर्ड बराबर किया भारत ने

साभार: जागरण समाचार 
भारतीय टीम बुधवार को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर श्रीलंका के खिलाफ सीरीज का तीसरा और अंतिम टेस्ट जीतने में नाकाम रही और युवा बल्लेबाजों के शानदार प्रदर्शन की बदौलत मेहमान टीम ने इस
टेस्ट को ड्रॉ कराने में सफलता हासिल की। इसके बावजूद विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया ने तीन मैचों की टेस्ट सीरीज 1-0 से अपने नाम की। यह भारत की लगातार नौवीं टेस्ट सीरीज जीत है। इसके साथ ही भारत ने लगातार सबसे ज्यादा टेस्ट सीरीज जीतने के इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के विश्व रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। अगर टीम इंडिया अगले साल दक्षिण अफ्रीका में होने वाली टेस्ट सीरीज जीत लेती है तो वह यह विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लेगी।  
जीत सकते थे तीसरा टेस्ट: अगर इस सीरीज की बात करें तो कोलकाता में खेला गया पहला टेस्ट ड्रॉ रहा था, जिसके बाद नागपुर में भारत ने दूसरा टेस्ट पारी और 239 रन से जीतकर 1-0 की बढ़त बना ली थी। तीसरे टेस्ट में भारत ने मुरली विजय के शतक और कप्तान कोहली के दोहरे शतक की बदौलत सात विकेट पर 536 रन बनाकर पारी घोषित की थी। जवाब में श्रीलंका की पारी 373 रन पर सिमट गई। पहली पारी में 163 रन की बढ़त लेने के बाद भारत ने दूसरी पारी पांच विकेट पर 246 रन बनाकर घोषित की और श्रीलंका को जीत के लिए 410 रन का लक्ष्य दिया। चौथे दिन के अंत तक श्रीलंकाई टीम दूसरी पारी में 31 रन तक तीन विकेट गंवाकर संकट में थी। भारत को इस टेस्ट को जीतने के लिए अंतिम दिन सात विकेट लेने की जरूरत थी, लेकिन श्रीलंका के युवा बल्लेबाजों ने भारतीय टीम के मंसूबों पर पानी फेरते हुए इस टेस्ट को ड्रॉ करा लिया। श्रीलंका ने दूसरी पारी में पांच विकेट पर 299 रन बनाए, जो भारतीय सरजमीं पर चौथी पारी में बना सबसे बड़ा स्कोर है। इससे पहले वेस्टइंडीज ने 1987 में इसी मैदान पर पांच विकेट पर 276 रन बनाकर जीत हासिल की थी।
श्रीलंकाइयों की सही रणनीति: श्रीलंकाई बल्लेबाज जानते थे कि 410 रन के बड़े लक्ष्य को हासिल करना आसान चुनौती नहीं है, ऐसे में उन्होंने टेस्ट बचाने के लिए गजब की जीवटता का परिचय दिया। अंतिम दिन श्रीलंका ने 87 ओवरों का सामना किया, जिसमें सिर्फ दो विकेट खोकर 268 रन बनाए। इसके चलते भारतीय कप्तान को मैच को ड्रॉ के रूप में खत्म करने पर सहमति जताने के लिए मजबूर होना पड़ा। भारत को जीत से दूर रखने में सबसे बड़ा योगदान धनंजय डिसिल्वा का रहा, जो 219 गेंदों पर 15 चौकों और एक छक्के की मदद से 119 रन बनाने के बाद कूल्हे में तकलीफ होने की वजह से रिटायर्ड हर्ट हुए। डिसिल्वा के मैदान छोड़ने के बाद लग रहा था कि भारतीय गेंदबाज वापसी करेंगे, लेकिन पदार्पण टेस्ट खेलने वाले रोशन सिल्वा (नाबाद 74, 154 गेंद, 11 चौके) और विकेटकीपर बल्लेबाज निरोशन डिकवेला (नाबाद 44, 72 गेंद, 06 चौके) ने मेजबानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
आउट हुए मैथ्यूज: पांचवें दिन भारतीय टीम को पहली सफलता के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा। बायें हाथ के स्पिनर रवींद्र जडेजा ने दिन की शुरुआत में ही एंजेलो मैथ्यूज (01) को पहली स्लिप में अजिंक्य रहाणो के हाथों कैच करा दिया। मैथ्यूज दुर्भाग्यशाली रहे, क्योंकि जडेजा की जिस गेंद पर वह पवेलियन लौटे वह नोबॉल थी, लेकिन अंपायर ने इस ओर ध्यान नहीं दिया और न ही टीवी अंपायर की मदद मांगी। शानदार बल्लेबाजी कर रहे डिसिल्वा ने जल्द ही 92 गेंदों पर टेस्ट करियर का अपना तीसरा अर्धशतक पूरा किया। इसी दौरान डिसिल्वा ने कप्तान दिनेश चांदीमल (36) के साथ पांचवें विकेट के लिए अर्धशतकीय साङोदारी पूरी की। लंच के ठीक पहले जडेजा ने 24 रन के निजी स्कोर पर चांदीमल को भी बोल्ड कर दिया था, लेकिन इस बार टीवी अंपायर ने इसे नोबॉल करार दिया, जिससे वह बच गए। 
रिटायर हुए डिसिल्वा: दूसरे सत्र में टीम इंडिया को जल्दी विकेट लेने की जरूरत थी और ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने चांदीमल को बोल्ड कर श्रीलंकाई टीम को बड़ा झटका दिया। चांदीमल के आउट होने से स्कोर पांच विकेट पर 147 रन हो गया लेकिन दूसरे छोर से डिसिल्वा की शानदार बल्लेबाजी जारी रही। उन्होंने लंच के बाद 188 गेंदों पर अपना तीसरा टेस्ट शतक पूरा किया। श्रीलंका का स्कोर जब 205 रन था तब डिसिल्वा ने चोटिल होने की वजह से रिटायर होने का फैसला किया, जिससे हर कोई हैरान नजर आया। तीसरे और अंतिम सत्र में भारत के हाथ एक भी सफलता नहीं लगी।