Monday, December 4, 2017

चाबहार ने पाकिस्तान को किया और दरकिनार, बिना पाक गए ही अफगानिस्तान, रूस और यूरोप से जुड़ सकेगा भारत

साभार: जागरण समाचार 
वर्ष 1947 में देश विभाजन के बाद से पूरे मध्य-पूर्व, मध्य एशिया और यूरोप से भौगोलिक तौर पर अलग हुए भारत ने इस दूरी को पाटने की दिशा में अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। भारत की मदद से
ईरान में तैयार चाबहार बंदरगाह के पहले चरण का रविवार को ईरान के राष्ट्रपति डॉ. हसन रोहानी ने उद्घाटन किया। इस बंदरगाह के जरिये भारत अब बिना पाकिस्तान गए ही अफगानिस्तान और फिर उससे आगे रूस और यूरोप से जुड़ सकेगा। भारत के लिए इसकी अहमियत उद्घाटन समारोह से 24 घंटे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की ईरान यात्र से लगाया जा सकता है। उद्घाटन समारोह में भारत की ओर से जहाजरानी राज्य मंत्री पी राधाकृष्णन के साथ भारतीय दूतावास और अन्य मंत्रलयों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इसके अलावा अफगानिस्तान, पाकिस्तान और कतर समेत 17 देशों के 60 प्रतिनिधि भी कार्यक्रम में मौजूद थे।
भारत इस पोर्ट के साथ एक विशेष आर्थिक क्षेत्र भी विकसित करना चाहता है। कुछ दिन पहले ही सड़क, राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि भारत की योजना चाबहार में कुल दो लाख करोड़ निवेश करने की है। इसके लिए कई निजी कंपनियों से बात की जा रही है। भारत वहां एक एलएनजी टर्मिनल और एक यूरिया प्लांट भी लगाना चाहता है। -संबंधित सामग्री पेज 7भारत के लिए कई लिहाज से अहम1चाबहार बंदरगाह बनने के बाद समुद्री रास्ते से होते हुए भारत के जहाज ईरान में दाखिल हो जाएंगे। इसके जरिये अफगानिस्तान, मध्य एशिया तक के साथ-साथ यूरोपीय देशों के बाजार भारतीय कंपनियों और कारोबारियों के लिए खुल जाएंगे।