Saturday, December 9, 2017

हालात-ए-कंप्यूटर शिक्षा: करोड़ों की कंप्यूटर लैब फांक रहीं धूल, कंप्यूटर टीचर बैठे खाली

साभार: जागरण समाचार 
केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार तक डिजिटल इंडिया का नारा दिया जा रहा है। हर विभाग को आनलाइन करने का प्रयास जारी है। लेकिन देश के भविष्य की कंप्यूटर शिक्षा में मानो सरकारी बाबुओं की उपेक्षा का वायरस घुस
गया है। धरातल पर एक फीसदी भी काम नहीं हो रहा है। सरकारी स्कूलों में लाखों रुपये की लागत से तैयार लैब में कंप्यूटर धूल फांक रहे हैं। जो शिक्षक व सहायक रखे गए हैं उनसे सिम का काम लिया जा रहा है। अहम बात यह है कि 2011 में तैयार की गई लैब में कंप्यूटर को अपडेट ही नहीं किया गया है।
मानदेय न मिलने से छोड़ रहे नौकरी: राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल में तैनात लैब सहायक आत्माराम का कहना है कि लैब है, कंप्यूटर हैं लेकिन व्यवस्था नहीं है। जहां चार शिक्षकों की जरूरत है वहां पर एक ही शिक्षक है। सात साल से अपडेट नहीं किया गया है और यहां तक की रिपेयरिंग के लिए बजट नहीं आ रहा है। विभाग ने शिक्षक को दस हजार व सहायक को छह हजार रुपये दिए जाते हैं।  
जेनरेटर है ना डीजल का पैसा, बैटरी ठीक करने के लिए बजट नहीं: कंप्यूटर लैब को चलाने के लिए बिजली के बैकअप की भी जरूरत है। स्कूलों में जेनरेटर है लेकिन डीजल के लिए बजट ही नहीं है। हालात यहां तक है कि बैटरी भी डेड हो चुकी हैं। गांवों में बिजली की सबसे बड़ी समस्या है, वहां पर लैब न चलने का ये भी कारण है।
नहीं हुआ विषय अनिवार्य: स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा को लेकर सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा महज इसी से लगाया जा सकता है कि सात साल से अभी तक कंप्यूटर संबंधित किताबें ही नहीं पहुंची है। यहां तक कि कंप्यूटर विषय को भी अनिवार्य नहीं किया गया है।
कंपनी का ठेका खत्म, धूल फांक रहे कंप्यूटर: अबरॉन कंपनी की तरफ से जिला में आठ कंप्यूटर लैब बनाई गई थी, एक लैब में 25 कंप्यूटर रखे गए,पिछले साल कंपनी का ठेका खत्म होने के चलते लैब बंद पड़ी है।
  • जहां पर लैब है वहां पर टीचर हैं। रिपेयरिंग का बजट न आने के कारण दिक्कत आ रही है। कंप्यूटर का कामकाज पहले कंपनी देख रही थी। इसको लेकर उच्च अधिकारियों को लिखा गया है। जल्द ही लैब की व्यवस्था सुधर जाएगी। - दयानंद सिहाग,जिला शिक्षा अधिकारी, फतेहाबाद