Thursday, December 7, 2017

बच्ची की मौत हत्या से कम नहीं फोर्टिस अस्पताल को पाया दोषी: अस्पताल का लाइसेंस रद करने की सिफारिश, ब्लड बैंक का लाइसेंस रद

साभार: जागरण समाचार 
डेंगू से बच्ची की मौत और परिजनों से 16 लाख रुपये की वसूली मामले में गुरुग्राम का फोर्टिस अस्पताल दोषी निकला है। स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. राजीव वढेरा की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट
के आधार पर प्रदेश सरकार अस्पताल के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराएगी। अस्पताल का लाइसेंस रद करने की सिफारिश के साथ ही ब्लड बैंक का लाइसेंस रद करने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया है।
सरकार ने इस रिपोर्ट के आधार पर माना है कि बच्ची की मौत सामान्य नहीं, बल्कि हत्या के समान है। शर्ताें के मुताबिक मरीजों को सस्ता इलाज नहीं देने के लिए स्वास्थ्य विभाग अस्पताल की जमीन की लीज रद कराने के लिए हुडा को पत्र लिखेगा। इसके अलावा डेंगू की सूचना सीएमओ को नहीं देने पर भी अस्पताल प्रबंधन को नोटिस थमाया गया है। अस्पताल के खिलाफ केस धारा 304 (लापरवाही से मौत) के तहत दर्ज होगा।
लंबे इंतजार के बाद स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अमित झा ने डॉ. वढ़ेरा की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय कमेटी की 50 पेज की रिपोर्ट बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को सौंप दी। इसके तुरंत बाद पत्रकारों से रू-ब-रू स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दिल्ली की सात वर्षीया आद्या सिंह की मौत के लिए फोर्टिस अस्पताल का प्रबंधन जिम्मेदार है।
विज ने यहां तक कह दिया कि यह लापरवाही से हुई मौत नहीं, बल्कि हत्या है। इसलिए सरकार अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ पुलिस केस दर्ज कराएगी। इस पर कानूनी राय लेने के लिए रिपोर्ट को एलआर के पास भेज दिया गया है।
फोर्टिस अस्पताल के खिलाफ आरोप हुए साबित: अस्पताल पर महंगी दवाओं का इस्तेमाल करने, गैर कानूनी तरीके और लापरवाही से मामले को हेंडल करने तथा कागजों में गड़बड़ी करने के आरोप साबित हुए हैं। अस्पताल का लाइसेंस रद कराने के लिए एमसीआइ (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) और आइएमए (इंडियन मेडिकल काउंसिल) को लिखा जाएगा। एमओयू के मुताबिक मरीजों का सस्ता इलाज नहीं करने पर अस्पताल की लीज रद करने के लिए हुडा (हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) को सिफारिश की गई है। डेंगू की सूचना सिविल सर्जन को नहीं देने पर एपिडेमिक एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है जिसमें छह माह की सजा और हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।
ऐसे बनाए अनाप-शनाप बिल बिल: 15 पेज के बिल में अस्पताल ने 14-15 दिन के उपचार में 660 सीरिंज और 2700 ग्लव्स का इस्तेमाल दिखाया है। आद्या को 25 बार प्लेटलेट्स चढ़ाई गईं। आठ बार यह प्लेटलेट्स दो हजार रुपये प्रति यूनिट दी गईं जो कानूनन 400 रुपये यूनिट होने चाहिए। इस तरह प्लेटलेट्स के नाम पर 12,800 रुपये ज्यादा लिए गए। मेरोपैनम इंजेक्शन 3112 रुपये के हिसाब से लगा, जबकि 400 रुपये वाला इंजेक्शन भी अस्पताल में मौजूद था। 3.20 लाख की दवा के बदले छह लाख रुपये वसूले गए। इसी तरह आइसीयू के किराये में प्रतिदिन तीन हजार के बदले एक लाख रुपये वसूले गए।
ट्विटर से जांच तक: शायद, यह मामला दबा ही रह जाता लेकिन विवाद तब शुरू हुआ जब मौत के बाद फोर्टिस ने जयंत सिंह को 15 लाख 59 हजार रुपये का बिल थमा दिया। जयंत ने ट्विटर के जरिये केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को इसकी जानकारी दी। सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी तो नड्डा ने जांच के आदेश दिए। वहीं, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने भी तीन वरिष्ठ डॉक्टरों की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित कर दी।
12 दिसंबर को हाई कोर्ट में जाएगी रिपोर्ट: हाई कोर्ट ने इस मामले में जांच रिपोर्ट तलब की हुई है। 12 दिसंबर को सरकार यह रिपोर्ट कोर्ट में जमा कराएगी।
यह है पूरा मामला: दिल्ली के द्वारका की रहने वाली आद्या सिंह को 27 अगस्त को तेज बुखार हुआ। उसके पिता ने उसे द्वारका के सेक्टर-12 स्थित रॉकलैंड अस्पताल में भर्ती कराया। 31 अगस्त को जांच में उसे टाइप-4 का डेंगू मिला जिसके बाद डॉक्टरों ने उसे वहां से शिफ्ट करने की सलाह दी। उसी दिन आद्या को गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। फोर्टिस में पहले ही दिन से आद्या को वेंटीलेटर पर रखा गया। हालत सुधरती न देख परिजनों के दबाव में फोर्टिस अस्पताल ने 14 सितंबर को उसे फिर रॉकलैंड में शिफ्ट करते हुए बिना उपकरणों की एंबुलेंस में भेज दिया। इस वजह से उसकी मौत हो गई।