Monday, December 4, 2017

नया प्रयोग: पंचायत लिखित में देगी तो गांव में नहीं बिकेगी शराब

साभार: जागरण समाचार 
हरियाणा में करीब दो दशक पहले हुई शराबबंदी के बाद सरकार एक बार फिर नया प्रयोग करने की तैयारी में है। इस बार सरकार गांवों में शराब की बिक्री नहीं करेगी। जो भी ग्राम पंचायत लिखित में सरकार से अपने यहां
शराब ठेका नहीं खोलने का आग्रह करेगी, वहां शराब ठेके अलाट नहीं किए जाएंगे। सरकार के इस निर्णय से राजस्व का बड़ा नुकसान होने की आशंका है। इसके चलते अगले वर्ष शराब महंगी हो सकती है।
गांवों में शराब की बिक्री रोकने संबंधी निर्णय एक अप्रैल 2018 से लागू होगा। वर्ष 2017-18 के लिए अप्रूव शराब ठेके 31 मार्च 2018 तक चलेंगे। प्रदेश में करीब 6800 गांव हैं, जिनकी छह हजार ग्राम पंचायतें काम करती हैं। हर साल मार्च में नए वित्तीय वर्ष के लिए शराब ठेकों की नीलामी होती है। राज्य में यह काम पिछले कई सालों से ऑनलाइन हो रहा है। शराब ठेकों के आवंटन की प्रक्रिया के बाद हर साल ग्राम पंचायतें और महिलाएं अपने यहां शराब ठेके खोलने का विरोध करती हैं। लिहाजा सरकार ने वर्ष 2018-19 की आबकारी पालिसी जारी करने से पहले ही उन ग्राम पंचायतों से आवेदन मांग लिए हैं, जो अपने यहां शराब ठेका नहीं खुलने देना चाहती हैं। हालांकि इन पंचायतों को 31 दिसंबर 2017 तक आबकारी एवं कराधान विभाग के पास ठेका नहीं खोलने का आवेदन करना होगा। यह आवेदन जिला स्तर पर किए जाएंगे, जो पूरे प्रदेश से मुख्यालय तक पहुंचेंगे। इसके बाद किसी आवेदन पर विचार नहीं होगा।
2017 में 185 पंचायतों में नहीं खुले ठेके: हरियाणा में पिछले साल 2017 में 185 ग्राम पंचायतों ने अपने यहां शराब ठेके नहीं खोलने का आवेदन किया था। इन सभी आवेदनों को स्वीकार कर लिया गया था। वर्ष 2016 में तो मात्र पांच ग्राम पंचायतों में शराब के ठेके नहीं खुल पाए थे।
  • पंचायत लिखकर दे दे, हम उस गांव में कोई शराब ठेका आक्शन नहीं कराएंगे। यह हमने तय कर लिया है। कोई रिव्यू भी नहीं होगा। हर मार्च में नए ठेके खुलते हैं। उनकी बोली होती है। एक अप्रैल से नई अवधि शुरू होती है। दिसंबर तक जो लिखकर दे देगा, हम मार्च में वहां नया ठेका नहीं खोलेंगे। - मनोहर लाल, मुख्यमंत्री।