Tuesday, December 5, 2017

Management: योजनाबद्ध परोपकार, प्रभावी समाधान हमें आगे ले जाते हैं

एन. रघुरामन (मैनेजमेंटगुरु)
साभार: भास्कर समाचार
नियोजित हमदर्दी: दो साल पहले सोशल एम्पेक्टर्स फोरम शुरू करने वाली स्वाति महेश कीर्तिपति 1 दिसंबर को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ हुई दिल्ली टाउन हॉल मीटिंग में मौजूद थीं। ओबामा
फाउंडेशन की इस मीटिंग के 300 भागीदारों में उनके होने का कारण भी वैसा ही था। प्रतिमाह 1500 रुपए का उनका चैरिटी का बजट है। ऐसा नहीं कि यह पूरा पैसा वे अपनी जेब से खर्च करती हैं। वे ऐसे हर व्यक्ति से पैसा जुटाती हैं, जो दे सकता हो। वे सिर्फ दो अाइटम बनाती हैं- पुलाव तथा रायता और उसे एक खास इलाके में, खास दिन पर बेघर लोगों के बीच बांट देती हैं। यह कोई अल्टरनेट वीकेंड या छुट्‌टी का दिन हो सकता है। दिन बड़ी सावधानी से चुना जाता है। यदि उन्हें मालूम पड़े कि किसी खास दिन बेंगलुरू के सेंट्रल बिज़नेस डिस्ट्रिक्ट में कोई विजिटर नहीं होगा तो वे तत्काल भोजन तैयार करती हैं और कुछ दोस्तों को मदद के लिए बुलाकर उसे वितरित कर देंगी। इसलिए ऐसे दिन महीने में केवल दो ही आते हैं। वे ऐसा मूलत: इसलिए करती हैं, क्योंकि सीबीडी क्षेत्र में कोई नहीं आता तो बेघरों के लिए पैसा कमाना या भोजन हासिल करना मुश्किल हो जाता है। उनकी संख्या कोई कम नहीं है। कभी-कभी वे एक हजार से ज्यादा हो जाते हैं। इस कॉलम में उनके सुनियोजित परोपकार की पहले भी चर्चा हुई है। 
ओबामा नेे जोर देकर कहा कि हमें यह याद रखना चाहिए कि किसी छोटे प्रयास का भी लहरों की तरह दूर तक प्रभाव होता है। फिर चाहे हमें तत्काल यह महसूस भी हो। हमारे काम का समाज पर कुछ असर तो पड़ेगा। स्वाति टाउन हॉल मीटिंग में आमंत्रित 300 लोगों में से थीं उसकी वजह ही यह थी कि उनमें हमदर्दी के साथ योजना भी थी। वे भोजन उस तरह नहीं बांटतीं जैसे हममें से कुछ करते हैं। वे दान में मिला पैसा बिना यह जाने खर्च नहीं करतीं कि वह किसे मिल रहा है और कैसा इस्तेमाल हो रहा है। वे अनाज का एक कण भी बर्बाद नहीं होने देतीं। 

प्रभावी समाधान: मैमोग्राम खासतौर पर 40 की उम्र से ऊपर की महिलाओं को दिए जाते हैं। लेकिन, अब स्तन कैंसर की दर बढ़ रही है और यह रोग कम उम्र की महिलाओं में भी देखा जा रहा है पर युवतियों के असरदार स्क्रीनिंग की कोई विधि नहीं है। बेंगलुरू स्थित हैल्थ-टेक स्टार्टअप 'निर्माणी' ने थर्मल इमेजिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमआई) को मिलाकर 'थर्मालाइटिक्स' नाम की नई टेक्नोलॉजी विकसित की है। निर्माणी उस ग्रुप में शामिल चार भारतीय स्टार्टअप में से एक होगी, जिसे दुनियाभर से भागीदार लेकर गूगल ने अपने लॉन्चपैड एक्सलेटर प्रोग्राम के लिए तैयार किया है। 
29 जनवरी 2018 को निर्माणी सैन फ्रांसिस्को में दो सप्ताह के बूटकैंप मंें शामिल होंगे, जिसका सारा खर्च गूगल उठाएगी। उन्हें मेंटरशिप और छह माह तक सपोर्ट मिलेगा। गूगल डेवलपर्स लॉन्चपैड, ग्लोबल लीड के रॉय ग्लासबर्ग ने बयान में कहा, 'इन स्टार्टअप को चुनाव उनके द्वारा दी जा रही अनूठी वैल्यू और मशीन लर्निंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नवीनतम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने के कारण किया गया है।' 
लॉन्चपैड सिर्फ दुनिया को उनसे परिचित कराएगा बल्कि उन्हें अपने काम को व्यापक बनाने और तकनीकी विशेषज्ञता का स्तर उठाने के लिए सपोर्ट भी मिलेगा, क्योंकि उनका समाधान मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है। जिसके बारे में उनका दावा है कि यह काम मौजूदा मेमोग्राम की लागत से एक-तिहाई खर्च में हो जाएगा। 
फंडा यह है कि हमदर्दी के साथ उस पर योजनाबद्ध ढंग से खर्च और किसी समस्या का प्रभावी समाधान आपको हमेशा आगे रखेंगे।