Tuesday, February 27, 2018

2 साल से कम के 58% बच्चे मोबाइल से खेलते हैं; ये 'टचस्क्रीन जेनरेशन' ड्रॉइंग करने, पेंसिल पकड़ने तक में कमजोर हो रही है

साभार: भास्कर समाचार
बच्चों की टचस्क्रीन जेनरेशन पेंसिल पकड़ने, ड्रॉइंग करने तक में कमजोर हो रही है। फोन के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से बच्चे परंपरागत खेलों या एक्टिविटी से दूर हो रहे हैं। इससे उनके हाथों की मांसपेशियां कमजोर हो
रही हैं और उन्हें पेंसिल तक पर ग्रिप बनाने में समस्या आ रही है। ये नतीजे इंग्लैंड के नेशनल हैंडराइटिंग एसोसिएशन के एक रिसर्च से सामने आए हैं। रिसर्च के मुताबिक- "बच्चे अब पैदा होते ही मोबाइल, टैबलेट या अन्य गैजेट्स के संपर्क में आ जाते हैं। 2 साल से कम उम्र के 58% बच्चे मोबाइल फोन से खेलते हैं। पहले ऐसा नहीं था। पहले बच्चे ट्रेडिशनल गेम्स खेलते थे। आउटडोर एक्टिविटी में शामिल होते थे। अब मोबाइल फोन पर खेलने के वजह से टचस्क्रीन जेनरेशन तैयार हो रही है, जिसमें फंडामेंटल मूवमेंट स्किल कम हो रही है। इसका असर तब दिखता है, जब 2-3 साल की उम्र में बच्चे स्कूल जाते हैं। उनकी पेंसिल पर ग्रिप ही नहीं बनती। ड्रॉइंग में भी समस्या आती है। उनकी हैंडराइटिंग पर भी इसका असर पड़ रहा है।' 
रिसर्चर का कहना है कि- अब मां-बाप भी बच्चों के हाथ में आसानी से फोन पकड़ा देते हैं। ये उन पर गलत असर डाल रहा है। बच्चे अगर हाथ की पहली उंगली और अंगूठे से पेंसिल पकड़ रहे हैं, तो ही सही पोजीशन है। पेंसिल या पेन पकड़ने की इस पोजीशन को 'डायनैमिक ट्राइपॉड' कहते हैं। अगर इसके अलावा वो किसी भी तरह से पेंसिल पकड़ रहे हैं, तो समझ जाना चाहिए कि उनकी इंडेक्स फिंगर (हाथ की पहली उंगली) की मांसपेशियां कमजोर हैं। 
इंग्लैंड के नेशनल हैंडराइटिंग एसोसिएशन के रिसर्च का नतीजा- बच्चों को ग्रिप बनाने में समस्या आ रही केस स्टडी: छह साल का बच्चा पैट्रिक पेंसिल पकड़ने के लिए फिजियोथेरेपी ले रहा है: रिसर्च में लंदन के छह साल के बच्चे पैट्रिक का एक अनूठा केस सामने आया। पैट्रिक का पिछले साल ही स्कूल में दाखिला हुआ। उसे पेंसिल पकड़ने में समस्या आती थी। उंगलियों की मांसपेशियां कमजोर थीं। ज्यादा देर पेंसिल पकड़ने पर पैट्रिक के हाथ में सूजन आ जाती। मां-बाप ने डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि टचस्क्रीन जेनरेशन के इस सिंड्रोम से पीड़ित है। अब पैट्रिक फिजियोथेरेपी ले रहा है। बच्चे को हर हफ्ते दो बार थेरेपी के लिए जाना होता है। थेपेरी छह महीने की है। इस केस की मदद से रिसर्चर ने बच्चों में बढ़ती इस समस्या को समझाया।