Sunday, February 4, 2018

परीक्षा के दबाव से उबरने को प्रधानमंत्री मोदी के 25 मंत्र; PM 16 फरवरी को देश भर के बच्चों से होंगे रूबरू

साभार: जागरण समाचार 
परीक्षा की तैयारियों में जुटे देश के करोड़ों बच्चों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 फरवरी को फिर रूबरू होंगे। वह उनसे परीक्षाओं को लेकर ही संवाद करेंगे। इनमें सभी स्कूल और कालेज के छात्र शामिल होंगे। हालांकि इससे
पहले ही परीक्षाओं से निपटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की लिखी गई एक्जाम वारियर नाम की किताब भी जारी गई है। इसका विमोचन शनिवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किया है। यह पुस्तक प्रधानमंत्री की ‘मन की बात’ पर आधारित है। प्रधानमंत्री मोदी की यह किताब उस समय जारी हुई है, जब देश के करोड़ों बच्चे 10वीं, 12वीं के साथ मेडिकल, इंजीनियरिंग जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुटे हैं। किताब में परीक्षाओं से निपटने के लिए 25 मंत्र यानि पाठ दिए गए है। पुस्तक में उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जिक्र करते हुए लिखा है कि एक परीक्षा मनुष्य की पूरी जिंदगी को नहीं जांच सकती है। एपीजे अब्दुल कलाम फाइटर पायलट बनना चाहते थे, लेकिन इनमें चूक गए। लेकिन वह निराश होकर नहीं बैठे। बाद में वह महान वैज्ञानिक बने, जो हमें आज भी याद हैं। इस तरह से उन्होंने छात्रों से परीक्षा से चिंतित न होने की सलाह दी, बल्कि इसे त्योहार की तरह मनाने की सलाह दी। किताब में परीक्षा के दौरान बच्चों से खेलने, तनाव को भगाने के लिए नियमित योग करने और पर्याप्त नींद लेने की भी सलाह दी गई है। किसी की नकल न करके खुद को पहचान कर आगे बढ़ने की भी बात है। 
पीएम मोदी की किताब का विमोचन करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने परीक्षाओं से जुड़े अपने भी कई अनुभवों का जिक्र किया। उन्होंने कहा चुनाव भी हम लोगों के लिए परीक्षा की तरह होते हैं। एक दिन में कई-कई सभाएं करनी होती हैं, लेकिन तनाव नहीं आने देते हैं। उन्होंने परीक्षाओं की तैयारियों में जुटे बच्चों से परीक्षा से पहले की जाने वाली तैयारियों को और समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने को कहा। वहीं, मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री जैसे पद पर बैठे लोग अक्सर राजनीति की बात करते हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो राजनीति के साथ सामाजिक जिम्मेदारी की भी बात करते हैं। उन्होंने कहा कि यह किताब उनके द्वारा पिछले सालों में मन की बात में परीक्षाओं को लेकर की गई चर्चा का ही एक रूप है। किताब की तारीफ करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि उन्होंने एनसीईआरटी से भी ‘अपनी किताबें ऐसी हैं’ तैयार करने को कहा है। कार्यक्रम में विदेशी दूतावास के अधिकारियों के साथ विदेश मंत्रलय और मानव संसाधन विकास मंत्रलय के अधिकारी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।